नई दिल्ली: गाजियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई मामले पर गाजियाबाद के एसएसपी अमित पाठक ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत की. उन्होंने कहा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ मारपीट हुई है. जिन लोगों ने मारपीट की है हमने उनकी पहचान कर ली है और तीन लोगों को जेल भेज दिया है. बाकी लोगों के लिए टीम लगी हुई है और घटना लोनी बॉर्डर की है जिसके संदर्भ में एक एफआईआर 7 तारीख को दर्ज की गई थी. हालांकि एफआईआऱ में किसी का नाम और कारण नहीं लिखा गया था कि क्यों मारा गया और घटना का सीक्वेंस भी ठीक से नहीं लिखा था.


अमित पाठक ने कहा कि जब फाइंड आउट किया तो पता चला कि एक ताबीज को लेकर एक पक्ष है उसके दिमाग में इनके प्रति नाराजगी का भाव था कि ताबीज से फायदा नहीं हुआ, नुकसान हुआ. उसके चलते जो मुख्य आरोपी है उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया. इसके बाद हमने संज्ञान लिया और तीन लोगों को गिरफ्तार करके हमने जेल भेज दिया है. बाकियों की गिरफ्तारी का प्रयास चल रहा है.


इसके आगे उन्होंने कहा, “साथ ही साथ सोशल मीडिया पर जो खबर चलाई गई वह अब तक की जांच से बिल्कुल वेरीफाई नहीं हो रही है. टेक्स्ट को-रिलेट नहीं हो रहे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर यह खबर चलाया जाना किसी गलत उद्देश्य की तरफ इशारा करता है. क्यों लोगों को सोशल मीडिया पर यह कार्यवाही करनी पड़ी इसको संज्ञान में लिया गया है. कम्युनल हार्मोनी पीस को डिस्टर्ब करने का जो प्रयास किया गया है लेकिन हमने 7 लोगों के खिलाफ, ट्विटर इंडिया के खिलाफ एफआईआऱ लिखी है. हमारी टीम अभी भी मॉनिटर कर रही है. जो लोग जानबूझकर गाजियाबाद मैं कम्युनल हार्मोनी पीस को डिस्टर्ब करने की कोशिश कर रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे.”


एसएसपी ने कहा, “मैं साफ-साफ कह रहा हूं यह घटना व्यक्तिगत कारणों से हुई. सबसे इंपॉर्टेंट यह है कि इस घटना के पीछे की वजह क्या है...यह घटना किसी धार्मिक कारण से होना कतई नहीं पाया गया है. यह व्यक्तिगत कारणों से हुई है. इसलिए किसी संप्रदाय की भूमिका इसमें नहीं आ रही है. जो मारपीट करने वाले लोग हैं उसमें भी दोनों संप्रदाय के लोग थे तो धार्मिक एंगल होना कतई नहीं पाया गया है. अभी तक की जांच में जो कारण हमें बताया गया है अभी भी जांच चल रही है.”


अमित पाठक ने ये भी कहा, “ये बात सोचने वाली है कि जब पहले से अच्छा परिचय था तो एफआईआर में अज्ञात नाम लिखवाए गए. बताया गया कि जंगल में ले जाया गया...मारपीट हुई है. यह जंगल नहीं है, यह कॉलोनी के बस्ती के बीच की एक जगह है. मकान हैं वहां पर हुई है. सीक्वेंस भी गलत है. यह सब हम वेरीफाई कर रहे हैं. यह बात क्लीयर हो गई है जो सीक्वेंस एफआईआर में था वैसा बिलकुल नहीं पाया गया और इसके पीछे जो सोशल मीडिया पर पब्लिश हुआ वह भी सही नहीं है. इसमें कई फैक्ट्स ऐसे हैं जो गलत रखे गए. इसलिए डिटेल इंक्वायरी की आवश्यकता है.”


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