Ghulam Nabi Azad In Abp Press Conference: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) कांग्रेस से अलग होने के बाद से अपने लिए नई सियासी जमीन तैयार करने में लगे हुए हैं. आजाद जल्द ही अपनी नई पार्टी के नाम का भी एलान करने वाले हैं. उन्हें मिल रहे जनसमर्थन को लेकर विपक्ष खासकर कांग्रेस की परेशानियां निश्चित तौर पर बढ़ सकती हैं. जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस (Congress) के बहुत से नेताओं ने आजाद के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
इस बीच वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई मुद्दों को लेकर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने आर्टिकल 370 (Artical 370) के मुद्दे पर कहा कि आज इस आर्टिकल को लाए हुए तीन साल एक महीना हो गया है. सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर एक बार भी सुनवाई नहीं हो पाई है.
370 के नाम पर केवल सपने बेचे जा रहे
गुलाम नबी आजाद ने एबीपी न्यूज के स्पेशल शो में कहा कि ऑर्टिकल 370 को लाए हुए 3 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. उन्होंने कहा कि ऑर्टिकल 370 के नाम पर कश्मीर में केवल सपने बेचे जा रहे हैं. आजाद ने कहा कि धारा 370 वापस लाने के सिर्फ दो रास्ते हैं, एक संसद और दूसरा सुप्रीम कोर्ट. उन्होंने कहा कि संसद में कोई कानून लाने के लिए आपको दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ लोगों को सुप्रीम कोर्ट गए हुए तीन साल हो गए हैं.
370 को नहीं बनाएंगे चुनावी मुद्दा
आजाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इन तीन सालों में इस मामले को लेकर पहली ही सुनवाई नहीं की है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उनके किसी जानकार से बात की तो उन्होंने कहा अभी इस मुद्दे पर कुछ नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि 3 से 5 महीने में हमारे यहां चुनाव होने वाले हैं. आजाद ने कहा कि वह आर्टिकल 370 को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएंगे.
इसलिए नहीं हुई उनकी गिरफ्तारी
आजाद से जब पूछा गया कि उनपर आरोप लगाया जाता है कि उन्हें जानबूझकर गिरफ्तार नहीं किया गया. जिसके जवाब में आजाद ने कहा कि धारा 370 हटते वक़्त वह दिल्ली में थे. 3 सीएम कश्मीर में थे, जिनको एहतियातन के तौर पर नज़रबंद रखा गया. आजाद ने कहा कि संसद के चलते, विपक्ष के नेता को बिना चार्ज के अरेस्ट करे तो कौन सा अध्यक्ष लोकसभा या राज्यसभा का इसकी इजाजत देगा. संसद के चलते सांसद को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. अगर उस समय वह कश्मीर में होते तो उन्हें भी एहतियातन नज़रबंद किया जाता.
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