(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UCC Issue: 'यूसीसी लागू करना आर्टिकल-370 हटाने जितना आसान नहीं', गुलाम नबी आजाद ने दी मोदी सरकार को ये चेतावनी
Uniform Civil Code: देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस छिड़ी हुई है. अब डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ गुलाम नबी आजाद ने इसका विरोध किया है.
Ghulam Nabi Azad On UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देश में चर्चा तेज है. लॉ कमीशन ने देश की जनता और धार्मिक संगठनों से इस मुद्दे पर राय मांगी है. इस बीच अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सलाह दी है कि केंद्र सरकार को यूसीसी के बारे में नहीं सोचना चाहिए. क्योंकि इससे सभी धर्मों के लोग नाराज हो जाएंगे.
गुलाम नबी आजाद ने शनिवार (8 जुलाई) को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि ये अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जितना आसान नहीं है. न केवल मुस्लिम, बल्कि इसमें सिख, ईसाई, आदिवासी, पारसी, जैन और भी हैं. एक ही समय में इतने सारे धर्मों को नाराज करना किसी भी सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा और इस सरकार को मेरी सलाह है कि उन्हें ऐसा कदम उठाने के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी किया विरोध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूसीसी पर हालिया बयान के बाद इस मुद्दे को लेकर पूरे देश में बहस तेज हो गई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कदम का विरोध किया है. इस मामले पर चर्चा के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. इसके बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता कहा था कि कांग्रेस ने आश्वासन दिया है कि जब यूसीसी संसद में बहस के लिए आएगा तो पार्टी उनकी चिंताओं पर संज्ञान लेगी.
जम्मू-कश्मीर में चुनावों पर क्या बोले आजाद?
आजाद ने जम्मू-कश्मीर में चुनावों को लेकर कहा कि जब 2018 में विधानसभा भंग कर दी गई थी, तब से हम इंतजार कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे. जम्मू-कश्मीर के लोग राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल होने का इंतजार कर रहे हैं. मतलब कि चुने हुए प्रतिनिधि विधायक बनें और वही सरकार चलाएं. क्योंकि लोकतंत्र में ये काम सिर्फ चुने हुए प्रतिनिधि ही कर सकते हैं. दुनिया भर में या भारत के किसी भी हिस्से में 'ऑफिसर सरकार' छह महीने से ज्यादा नहीं चल सकती.
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