Ghulam Nabi Azad Party: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अपनी अलग पार्टी बनाई थी. हालांकि, अब उनकी पार्टी में जबरदस्त उठापटक चल रही है. डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के गठन होने के 3 महीने बाद ही पार्टी में बड़ी टूट हुई है. प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम ताराचंद समेत 126 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है.
इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने ही ताराचंद, पूर्व मंत्री डॉ. मनोहर लाल और पूर्व विधायक बलवान सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर कर दिया था. तीनों को निष्कासित करने का आदेश पार्टी के महासचिव राजिंदर सिंह चिब ने जारी किया है. यह तीनों नेता कांग्रेस छोड़ डीएपी में शामिल हुए थे. चर्चा है कि तीनों नेता पिछले कुछ अरसे से कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में थे.
गुलाम नबी पर डिक्टेटरशिप का आरोप
गुलाम नबी का साथ छोड़ने के बाद तीनों दिग्गज नेताओं ने उन पर हमला किया है. पूर्व उपमुखमंत्री तारा चंद ने गुलाम नबी पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "जब हमने देखा कि गुलाम नबी आजाद अकेले पड़ गए हैं और उनका समय कठिन है. हमने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आजाद साहब का समर्थन किया. मैं हैरान हूं कि जिस पार्टी को हमने अपना समय दिया, उससे हमें निकाल दिया गया. हमें क्यों निकाला नहीं जानते हैं, लेकिन यह डिक्टेटरशिप है."
आर्टिकल 370 पर आजाद को घेरा
आर्टिकल 370 पर गुलाम नबी को घेरते हुए उन्होंने कहा, "आजाद कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में 370 वापस नहीं आ सकती. मैं यह कहता हूं कि वह कौन सी चीज है जो वापस नहीं आती. हम प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि वह जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करें. हम दिल्ली में बंद कमरों में बैठकर जम्मू-कश्मीर का फैसले नहीं करेंगे."
'हमने गुलाम नबी के लिए कांग्रेस छोड़ी थी'
पूर्व विधायक बलवान सिंह ने कहा, "हमने करीब साढे 3 महीने पहले गुलाम नबी आजाद पार्टी साथ दिया था. हमने गुलाम नबी आजाद के लिए कांग्रेस छोड़कर उनकी पार्टी ज्वाइन की थी. उन्होंने हमें बिना नोटिस के बाहर निकाला. हमने गुलाम नबी आजाद का साथ तब दिया जब उनके साथ कोई नहीं था. हम सब कांग्रेस में अच्छे पदों पर थे, लेकिन इसके बावजूद हमने आजाद का साथ दिया."
गुलाम नबी आजाद पर धोखा देने का आरोप
उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में आजाद के साथ इसलिए जुड़े कि एक बड़ा चेहरा प्रदेश की तरक्की में अपना योगदान देगा. मैं नाराज हूं क्योंकि एक तरफ कहते हैं कि अनुशासनहीनता हुई है, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि क्या अनुशासनहीनता हुई? गुलाम नबी आजाद के साथ सिर मुंडवा कर ओले पड़ने की कहावत की सही हुई."
'डेमोक्रेटिक शब्द का उल्लंघन हुआ'
पूर्व मंत्री मनोहर लाल शर्मा ने कहा, "गुलाम नबी आजाद हमारे लिए नेता नहीं बल्कि एक बड़े भाई थे. पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक है, लेकिन हमें पार्टी से बाहर निकालने के लिए जो आदेश आया, उसमें डेमोक्रेटिक शब्द का उल्लंघन हुआ. वह 4 महीने में ना अपनी पार्टी का दफ्तर बना सके, ना संविधान और ना ही अपनी पार्टी को रजिस्टर करा सकें. हम अपना भविष्य बैठकर तय करेंगे. हमने किसी को धोखा नहीं दिया, हमने सिर्फ धोखा खाया है."
गुलाम नबी ने 26 सितंबर को बनाई थी पार्टी
बता दें कि कांग्रेस छोड़ने के बाद गुलाम नबी आजाद ने डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी का गठन किया. 26 सितंबर 2022 को आजाद ने अपनी नई पार्टी का ऐलान किया था. प्रदेश में उनकी पार्टी के साथ कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जुड़े थे. पार्टी के गठन होने के 3 महीने बाद ही इस पार्टी में बड़ी टूट हुई है.
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