विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत प्राथमिकता, जहां बुलाएंगे पार्टी के लिए करूंगा प्रचार -गुलाम नबी आजाद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत ही उनकी प्राथमिकता है.
नई दिल्ली. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के लिए प्रचार करने की अटकलों पर विराम लगा दिया है. कांग्रेस के बागी गुट का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है. शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद ने अहम बयान देते हुए कहा कि अगले दो महीनों तक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत हमारी प्राथमिकता है.
आजाद ने ये साफ कर दिया कि हाल में जम्मू में विरोधी खेमें के सम्मेलन पर उठ रहे सवालों के बीच अब बागी खेमे ने पांच राज्यों में चुनाव खत्म होने तक नेतृत्व को निशाना नहीं बनाने का फैसला कर लिया है. दरअसल, आजाद के नेतृत्व में जम्मू में हुए G-23 सम्मेलन और प्रधानमंत्री की तारीफ से कांग्रेस में तमाम लोग नाराज थे. पार्टी महासचिव तारिक अनवर ने ABP News से बात करते हुए ये तक कह दिया था कि आजाद जैसे बड़े नेता से इसकी उम्मीद नहीं थी.
"जहां बुलाएंगे, प्रचार करूंगा" गुलाम नबी आजाद ने ये भी कहा कि पार्टी या उम्मीदवार जहां भी उन्हें प्रचार के लिए बुलाएंगे वो और उनके बाकी सहयोगी वहां प्रचार करने जाएंगे. उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नेताओं के लिए चुनाव प्रचार के दो तरीके होते हैं. एक, पार्टी के स्टार प्रचारक और दूसरा उम्मीदवारों द्वारा खुद प्रचार के निमंत्रण.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पांच राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी नहीं की है. लिहाजा देखना दिलचस्प होगा कि आजाद के इस बयान के बाद भी बागी नेताओं के गुट से किनको स्टार प्रचारकों में शामिल किया जाता है और किसको नहीं.
The victory of Congress party in the forthcoming state elections is a priority. I will be campaigning wherever I will be invited by the party or individual: Congress leader Ghulam Nabi Azad (File photo) pic.twitter.com/v9J2Tyi6YI
— ANI (@ANI) March 5, 2021
हालांकि इससे पहले ही सोनिया गांधी को संगठन में बदलाव और स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग वाली चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शामिल जितिन प्रसाद को बंगाल और पृथ्वी राज चव्हाण को असम का प्रभार दिया जा चुका है और ये नेता जम्मू जाने वाले नेताओं में शामिल भी नहीं थे.
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