GI Tag: आजकल जीआई टैग की खूब चर्चा हो रही है कि आखिर जीआई टैग है क्या? दरअसल, भारत सरकार के मिननिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने 2 अगस्त से 9 अक्टूबर से तक देशी और विदेशी फूड को लेकर वोटिंग करवाई थी कि कौन सबसे अच्छा है. इस कॉम्पिटिशन में हैदराबाद के हलीम ने बाजी मारते हुए खिताब जीत लिया. ऐसे में सभी जानना चाहते हैं कि जीआई टैग क्या होता है? आइए जानते हैं जीआई टैग के बारे में.  


क्या होता है जीआई टैग?
जीआई टैग प्रोडक्ट्स को यह सुनिश्चित करने के लिए दिया जाता है कि केवल अधिकृत उपभोक्ता ही उस फेमस प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर सके. हैदराबाद ही नहीं तेलंगाना के कई हिस्सों में जीआई टैग के साथ फूड सर्वे किया जाता है. बता दें कि आखिरी बार हैदराबादी हलीम को साल 2010 में जीआई टैग मिला था. हलीम से जीआई टैग 2019 में एक्सपायर हो गया था, लेकिन एक बार फिर भारत सरकार की तरफ से हलीम को यह टैग मिल गया है.  


जीआई टैग कैसे मिलता है?
क्षेत्र विशेष के किसी भी प्रोडक्ट को जीआई टैग के लिए कोई भी व्यक्तिगत निर्माता और संगठन भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले पेटेंट, कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स एंड ट्रेड मार्क्स (CGPDTM) में जाकर आवेदन कर सकता है. भारत सरकार की ये संस्था प्रोडक्ट की विशेषताओं से जुड़े हर दावे को परखती है. पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही संतुष्ट होने पर ही जीआई टैग मिल पाता है. शुरुआत में जीआई टैग 10 वर्ष के लिए मिलता था, लेकिन बाद में इसे रिन्यू भी करवाया जा सकता है. 


इनको मिल चुका है जीआई टैग
इस समय भारत में 400 से अधिक जीआई उत्पाद पंजीकृत हैं. इसको आसानी से ऐसे समझा जा सकता है कि, किसी भी उत्पाद विशेष की कहां पैदावार होती है या यह कहां बनाया जाता है इसकी जानकारी जीआई टैग के जरिए पता चल पाती है. बासमती चावल, दार्जिलिंग की चाय, चंदेरी फैब्रिक, मैसूर सिल्क, कुल्लू की शॉल, कांगड़ा की चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुरखा, फर्रुखाबाद का प्रिंट, लखनऊ का जरदोजी, महोबा का पान, बीकानेरी भुजिया, बनारस की साड़ी, नागपुर का संतरा, बंगाल का रसगुल्ला और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी को जीआई टैग मिला हुआ है.