One Nation, One Election: बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया. इसके साथ ही बुधवार ( 18 सितंबर) को गिरिराज सिंह ने देश के विकास के लिए जरूरी वन नेशन वन इलेक्शन जरूरी है. इसके साथ ही, ये लॉ एंड ऑर्डर के लिए भी जरूरी है, क्योंकि दो तीन महीने सारी फोर्स वहां लग जाती है. देश की प्रगति के लिए ये जरूरी है.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पीएम मोदी शुरू से ही इसके पक्ष में थे. जहां देश के सभी पूर्व चीफ जस्टिस, देश के सभी नेताओं से राजनीतिक दलों से चर्ची की गई. इसके अलावा देश के हर चैंबर ऑफ कॉमर्स से चर्चा की गई. जिसके बाद आज कैबिनेट की मंजूरी दी गई. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर निशाना साधते हुए बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने कहा,' खरगे की भाषा केवल विध्वंसक भाषा होती है, निगेटिव भाषा होती है. खरगे वहीं हैं, जिन्होंने कहा था कि 20 सीट और आ जाती तो पीएम मोदी सहित सबको जेल भेज देता.
क्या खरगे जी नेहरू जी को गलत साबित करेंगे?
बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक पोस्ट लिखी. जिसमें उन्होंने कहा,' खरगे जी, राजनीतिक विद्वेष छोड़कर वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करें. यह देश को आगे ले जाने में बहुत मददगार होगा. कांग्रेस के समय में 1951 से 1967 तक वन नेशन वन इलेक्शन हुआ था. उस समय नेहरू जी ने इसकी शुरुआत की थी और उनके निधन के बाद भी यह जारी रहा. क्या खरगे जी नेहरू जी को गलत साबित करेंगे?
केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बनी रिपोर्ट को किया मंज़ूर
मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को लिया, जिससे सरकार देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गई है. सरकार ने यह कदम पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों को मंजूर करते हुए उठाया है.
जानिए सूचना प्रसारण मंत्रालय ने क्या कहा?
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार (18 सितंबर) को बताया है कि केंद्रीय कैबिनेट ने 'एक देश, एक चुनाव' पर बनाई उच्च स्तरीय कमेटी की सिफ़ारिशों को मंज़ूर कर लिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं. उन्होंने कहा, "वन नेशन वन इलेक्शन में जो हाई लेवल कमेटी बनाई गई थी, उसकी सिफारिशों को आज केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया है.
चुनाव के वजह से होता है बहुत ज्यादा खर्च
अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा,' 1951 से 1967 तक चुनाव एक साथ होते थे. उसके बाद में 1999 में लॉ कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में ये सिफारिश की थी देश में चुनाव एक साथ होने चाहिए, जिससे देश में विकास कार्य चलते रहें. क्योंकि, चुनाव की वजह से जो बहुत खर्चा होता है, वो न हो. बहुत सारा जो लॉ एंड ऑर्डर बाधित होता है, वो न हो. एक तरीके से जो आज का युवा है, आज का भारत है जिसकी इच्छा है कि विकास जल्दी से हो उसमें चुनावी प्रक्रिया से कोई बाधा न आए.
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