नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ने बालिग होने के सिर्फ चार दिन बाद शादी करने वाली एक महिला को अपने पति के साथ रहने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने उसके अभिभावकों के इस आरोप को खारिज कर दिया कि वह नाबालिग है और उसे जबर्दस्ती उनसे दूर ले जाया गया.


कोर्ट ने कहा कि चूंकि उसने अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी की है और उसके साथ खुशी से रह रही है इसलिए उसके लिए निर्देश जारी करने की कोई जरूरत नहीं है. अदालत ने कहा कि अपने परिवार की इच्छा के विपरीत विवाह करने वाली महिला 18 वर्ष की है, इसलिए वह यह निर्णय करने के लिए स्वतंत्र है कि वह किससे विवाह करना चाहती है.


उसके अभिभावकों ने जहां दावा किया कि वह नाबालिग है और व्यक्ति उसे जबर्दस्ती ले गया. युवती ने कहा कि उसने बालिग होने के चार दिन बाद अपनी मर्जी से विवाह किया और वह अपने अभिभावकों के पास वापस नहीं लौटना चाहती.


युवती ने यह भी कहा कि उसे, उसके पति और उसके ससुराल वालों को सुरक्षा मुहैया करायी जाए क्योंकि उसे अपने अभिभावकों से खतरा है. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की एक पीठ ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह आकलन करे और उन्हें जैसी और जब सुरक्षा की जरूरत हो मुहैया कराये.


युवती की मां ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी और मांग की थी कि उसकी पुत्री को अदालत के समक्ष पेश किया जाए. युवती की मां ने आरोप लगाया था कि व्यक्ति उसे जबर्दस्ती ले गया है.


पुलिस ने जानकारी दी कि साल 2000 में जन्मी युवती 10 मार्च को बालिग हो गई और उसने 14 मार्च को विवाह कर लिया. उसने अपने अभिभावकों को 26 मार्च को जानकारी दी. स्कूल रिकार्ड के अनुसार वह 10 मार्च को 18 वर्ष की हो गई.