Legal Marriage Age: लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने वाले बिल पर बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्थाओं में बंटी है राय
Legal Marriage Age for Girls: लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने वाले बिल को लेकर सोमवार समीक्षा कर रही संसद की स्थायी समिति की बैठक हुई.
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Girls Age For Marriage: लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने वाले बिल की समीक्षा कर रही संसद की स्थायी समिति की सोमवार को बैठक हुई. इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय और महिला बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों समेत इन्हीं से जुड़ी 7 संस्थाओं को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था.
इनमें से 6 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लिया. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक इन 6 संस्थाओं में से 3 ने खुलकर इस बिल का समर्थन किया. बिल का समर्थन करने वाले प्रमुख संस्थाओं में नोबल पुरष्कार विजेता कैलाशी सत्यार्थी का कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन और हरियाणा में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली चर्चित संस्था लाडो पंचायत शामिल हैं.
विरोध का दिया ये तर्क
बैठक में शामिल जिन दो संस्थाओं ने बिल के प्रावधानों का विरोध किया उनमें हक़-सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स और पीआरएस लेजिस्लेचर्स शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक विरोध का प्रमुख आधार ये रहा कि जब वोटिंग करने की न्यूनतम सीमा 18 साल है तो फिर शादी के लिए 21 साल की उम्र सीमा नहीं हो सकती. इसके अलावा इन संस्थाओं का ये भी मानना था कि शादी की उम्र का सीधा सम्बंध लड़कियों के स्वास्थ्य और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था से भी है.
समर्थन की बतायी खास वजह
वहीं बैठक में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्रालय और महिला बाल विकास मंत्रालय सचिवों ने बिल का खुलकर समर्थन किया. मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाने का सीधा असर शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर ( MMR) पर पड़ेगा और इन मामलों में कमी आएगी. अधिकारियों ने बताया कि कम उम्र में गर्भ धारण करने पर शिशु का हीमोग्लोबिन इत्यादि स्वास्थ्य मानक ज़रूरत के मुताबिक नहीं रहता लिहाज़ा बच्चा कमज़ोर पैदा होता है.
जल्द होगी दूसरी बैठक
सूत्रों के मुताबिक अगले 10 दिनों में समिति अपनी अगली बैठक बुलाएगी और कुछ और संस्थाओं और निजी व्यक्तियों के विचार सुनेगी. समिति की योजना देशभर में आश्रय घरों में रह रही बेसहारा विधवा महिलाओं से भी राय लेने की है जो कम उम्र में विधवा होने के बाद ऐसी जगहों में रहने को मजबूर हैं. इसके अलावा कर्नाटक में बाल विवाह से जुड़े एक क़ानून का अध्ययन करने के लिए भी समिति कर्नाटक का दौरा कर सकती है.
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