(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गुजरात में बनेगा पारंपिक दवाओं का ग्लोबल सेंटर, WHO और भारत सरकार के बीच समझौता
Global Center of Traditional Medicines: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उम्मीद है गुजरात में बन रह WHO का नया वैश्विक केंद्र दुनिया को बेहतर और किफायती चुकित्सा समाधान मुहैया कराने में मददगार होगा.
Global Center of Traditional Medicines: ग्लोबल मैप पर गुजरात को चमकाने के लिए सरकार एक और सौगात देने जा रही है. राज्य के जामनगर में पारंपरिक दवाओं पर WHO का वैश्विक केंद्र बनेगा. इसके लिए भारत के आयुष विभाग और WHO के बीच 25 मार्च को जिनेवा में समझौते पर दस्तखत किए गए. विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के बीच ये समझौता हुआ है.
पीएम मोदी ने किया पहल का स्वागत
इसका विधिवत उद्घाटन 21 अप्रैल 2022 को होगा. भारत इस केंद्र के लिए 25 करोड़ डॉलर खर्च करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने WHO और भारत सरकार के बीच हुए होस्ट कंट्री एग्रीमेंट का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है गुजरात में बन रह WHO का नया वैश्विक केंद्र दुनिया को बेहतर और किफायती चुकित्सा समाधान मुहैया कराने में मददगार होगा.
India is honoured to be home to a state-of-the-art @WHO Global Centre for Traditional Medicine. This Centre will contribute towards making a healthier planet and leveraging our rich traditional practices for global good. https://t.co/w59eeIKR5g
— Narendra Modi (@narendramodi) March 26, 2022
केंद्र की स्थापना के लिए भारत सरकार का धन्यवाद- WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा यह नया वैश्विक केंद्र पारंपरिक दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों पर आधुनिक शोध और उनके मानकीकरण में सहायक होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक डॉ टेडरॉस घेब्रिएसेस ने कहा कि दुनिया के लाखों लोगों के लिए बीमारियों के इलाज में पारंपरिक दवाएं इलाज का पहला प्रयास होती हैं. ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि वैज्ञानिक आधारों के साथ पारंपरिक दवाओं को अधिक प्रभावी बनाया जाए. उन्होंने इस केंद्र की स्थापना के लिए भारत सरकार का धन्यवाद दिया.
दुनिया की 80 फीसद आबादी करती है पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि दुनिया की 80 फीसद आबादी पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल करती है. साथ ही यूएन के 194 में से 170 देशों ने अपने यहाँ इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों को अधिक कारगर बनाने में WHO की मदद मांगी थी. आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल होने वाली दवाओं में से भी 40 फीसद ऐसी हैं जिन्हें प्राकृतिक उत्पादों से हासिल किया जाता है. उदाहरण के लिए, एस्प्रिन दवा को इंग्लिश विलो पेड़ की छाल के इस्तेमाल वाले पारंपरिक फार्मूले से ही हासिल किया गया है. साथ ही बच्चों में कैंसर उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा को आमतौर पर घरों में लगाए जाने वाले सदाबहार के पौधे से बनाया जाता है.
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