नई दिल्ली: वैश्विक प्रतिस्पर्धिता सूचकांक (Global Competitive Index) में भारत 10 स्थान फिसलकर 68वें स्थान पर आ गया है. जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) के सालाना वैश्विक प्रतिस्पर्धिता सूचकांक में भारत पिछले साल 58वें स्थान पर रहा था.


भारत इस साल ब्रिक्स देशों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है. विश्व आर्थिक मंच ने बुधवार को कहा कि वृहद आर्थिक स्थिरता और बाजार के आकार के मामले में भारत की रैंकिंग अच्छी है. वित्तीय क्षेत्र भी स्थिर है, लेकिन चूक की दर अधिक होने से बैंकिग प्रणाली प्रभावित हुई है.


सूचकांक के अनुसार, भारत का स्थान कंपनी संचालन के मामले में 15वां, शेयरधारक संचालन में दूसरा और बाजार आकार और अक्षय ऊर्जा नियमन में तीसरा रहा. नई खोज के मामले में भी भारत का प्रदर्शन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर रहा और विकसित देशों के बराबर रहा.


हालांकि सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को अपनाने में खराब प्रदर्शन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र की खराब स्थिति और स्वस्थ जीवन की संभावना की खराब दर ने कई क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन के असर को सीमित कर दिया. स्वस्थ जीवन की संभावना के मामले में भारत का स्थान 109वां रहा. यह अफ्रीका के बाहर के देशों में सबसे खराब में से एक है.


IMF प्रमुख ने कहा- दुनिया की 90 फीसद अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका, भारत पर भी असर


मंच ने कहा कि भारत में पुरुष कामगारों की तुलना में महिला कामगारों का अनुपात 0.26 है. इस मामले में भारत का स्थान 128वां रहा. प्रतिस्पर्धिता की रैंकिंग में भारत के बाद श्रीलंका 84वें, बांग्लादेश 105वें, नेपाल 108वें और पाकिस्तान 110वें स्थान पर रहा.


अध्ययन में कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था आर्थिक नरमी के लिये तैयार नहीं है. प्रतिस्पर्धिता रैंकिंग में सिंगापुर ने अमेरिका को हटाकर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया. इसके बाद दूसरे स्थान पर अमेरिका, तीसरे पर हांग कांग, चौथे पर नीदरलैंड और पांचवें पर स्विट्जरलैंड रहा. ब्रिक्स देशों में चीन की स्थिति सबसे अच्छी रही और वह 28वें स्थान पर रहा.