मोहन भागवत के स्वदेशी वाले बयान पर राकेश सिन्हा बोले- आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक भागीदारी ही स्वदेशी है
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि स्वदेशी का अर्थ जरूरी नहीं कि सभी विदेशी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए.
नई दिल्ली: बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के स्वदेशी वाले बयान पर कहा कि भागवत जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का मतलब ये नहीं है कि हम अपने वैश्विक संबंधों को अथवा व्यापारिक रिश्तों को समाप्त कर लेंगे. 1907 में हमारी स्वदेशी की जो अवधारणा थी वही आज भी है.
सिन्हा ने कहा कि ''आज स्थिति में इस देश को अधिकतम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना है. लेकिन स्वदेशी अवधारणा का अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि भारत वैश्विक दुनिया से कट जाएगा. प्रधानमंत्री ने लोकल से वोकल का नारा दिया है उसके पीछे अवधारणा यह है कि हम अपने संसाधनों का उपयोग करें और अपने को आत्मनिर्भर बनाएं. लेकिन उन्होंने यह नहीं कहा कि वैश्विक बाजार से हम कट जाएं. आत्मनिर्भरता के साथ-साथ वैश्विक भागीदारी ही स्वदेशी है.''
बीजेपी सांसद ने कहा, ''सालों से सुई से लेकर जहाज तक के मामले में हम दूसरों पर आश्रित रहे हैं. आज प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमारे पास जो संसाधन है उसका उपयोग करके भारत को अधिकतम आत्मनिर्भर बनाना. उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत अथवा संघ के विचारों में कोई भी विरोधाभास नहीं है.''
स्वदेशी का मतलब नहीं कि विदेशी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए- मोहन भागवत
इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि ''स्वतंत्रता के बाद देश की जरूरतों के अनुरूप आर्थिक नीति नहीं बनी. दुनिया व कोविड-19 के अनुभवों से स्पष्ट है कि विकास का एक नया मूल्य आधारित मॉडल आना चाहिए.''
भागवत ने साथ ही कहा कि स्वदेशी का अर्थ जरूरी नहीं कि सभी विदेशी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए. भागवत ने डिजिटल माध्यम से प्रो. राजेन्द्र गुप्ता की दो पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए कहा, ‘‘स्वतंत्रता के बाद जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी. आजादी के बाद ऐसा माना ही नहीं गया कि हम लोग कुछ कर सकते हैं. अच्छा हुआ कि अब शुरू हो गया है.’’
कांग्रेस अपने विचारों को गिरगिट की तरह बदलती है- राकेश सिन्हा
बेंगलुरु की घटना को लेकर कांग्रेस की तरफ से अब तक कोई बयान ना आने पर सिन्हा ने कहा, ''बेंगलुरु की घटना ने कांग्रेस को पूरी तरह से दुनिया के सामने एक्सपोज कर दिया है. कांग्रेस पार्टी अपने विचारों और व्यवहार को गिरगिट की तरह बदलती रहती है. इतनी बड़ी हिंसा हुई लेकिन सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी का बयान नहीं आया. जबकि कांग्रेस के दलित विधायक के घर पर हमला हुआ. इस पर उनकी चुप्पी यह बताती है कि कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से आगे बढ़कर जेहादी तुष्टीकरण की ओर बढ़ गई है.''
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