Global Temperatures Analysis: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बुधवार (17 मई) को वैश्विक तापमान से जुड़े अपने नए विश्लेषण में कहा कि वैश्विक तापमान अगले 5 वर्षों में पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा. इसमें कहा गया है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की निर्धारित सीमा अगले पांच वर्षों में कम से कम अस्थाई रूप से भंग हो सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, डब्ल्यूएमओ के विश्लेषण में कहा गया कि 66 फीसदी संभावना है कि 2023 से 2027 के बीच कम से कम एक वर्ष में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा या उसे अधिक होगा. वहीं, 98 फीसदी संभावना यह भी है कि इन वर्षों में से एक 2016 को पार करते हुए रिकॉर्ड में सबसे गर्म साल साबित होगा.
2016 रहा सबसे गर्म वर्ष
अभी 2016 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष माना जाता है. उस वर्ष का वार्षिक औसत तापमान 1.28 डिग्री सेल्सियस था जो पूर्व-औद्योगिक समय (1850-1900 की अवधि का औसत) से ज्यादा था. वहीं, पिछला साल (2022) पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म था.
अलग से बुधवार को जारी नए अध्ययन में कहा गया कि अप्रैल में भारत और कुछ पड़ोसी देशों में पड़ी भीषण गर्मी के लिए जलवायु परिवर्तन को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई गर्मी
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन पहल से जुड़े शोधकर्ताओं के एक समूह की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन ने भारत, बांग्लादेश, लाओस और थाईलैंड में अप्रैल की गर्मी की लहर के कम से कम 30 गुना ज्यादा होने की संभावना बनाई. उन्होंने कहा कि ऐसा माना गया था कि इस तरह की घटनाएं सौ वर्षों में एक बार होंगी लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से अब हर पांच साल में इनके एक बार होने की संभावना है.
डब्ल्यूएमओ ने कहा कि अगले पांच वर्षों में हर साल औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.1 से 1.8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहने की संभावना है. अगर तापमान में इजाफे के रुझान को तुरंत रोका गया तो 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की निर्धारित सीमा का भंग होना बहुत जल्द एक स्थायी मामला बन सकता है.
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