नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन शताब्दी के सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने आ रहा है. हालत यह है कि साल दर साल ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और इसके चलते हैं पृथ्वी के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.हालत यह है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से कुछ एक देश नहीं बल्कि पूरी दुनिया प्रभावित है और अगर इसका समय रहते समाधान नहीं निकला तो भविष्य में दिक्कतें कई गुना बढ़ सकती हैं. यह समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाज़ा विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट से लग सकता है जिसके मुताबिक साल 2016 में विश्व का औसत तापमान करीबन एक डिग्री से ज्यादा बढ़ गया था.


ग्लोबल वार्मिंग की इसी समस्या को देखते हुए राज्यसभा में भी गुरुवार को चर्चा की गई. चर्चा का विषय यही था कि कैसे हमारे देश में ग्लोबल वार्निंग के खतरे से निपटने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं. इस चर्चा में अलग-अलग दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया. समाजवादी पार्टी सांसद रेवती रमन सिंह ने मानसून में हो रही देरी को की वजह भी ग्लोबल वार्मिंग को ही बताया. रेवती रमन सिंह ने कहा कि "जलवायु परिवर्तन की वजह से अब मॉनसून भी 10 से 15 दिनों तक देरी से पहुंच रहा है. नेशनल हाईवे का जो चौड़ीकरण किया गया उसकी वजह से लाखों पेड़ काटे गए इसके साथ ही अलग-अलग सरकारी परियोजनाओं के चलते हजारों लाखों पेड़ काटे गए हैं. मानसून कब आएगा यह मौसम विभाग भी नहीं बता रहा और इसके चलते के साथ जो खेती पर निर्भर है वह परेशान है."


वहीं एआईएडीएमके सांसद विजिला सत्यानंत ने प्लास्टिक के बड़े इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए कहा कि "हर रोज 150 मेट्रिक टन प्लास्टिक जमा होता है जरूरत यह है कि इसको एक जगह जमा कर इसको रीसायकल किया जाए वरना यह पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनता जा रहा है." चर्चा में हिस्सा लेते हुए सीपीआई सांसद डी राजा ने वेस्ट मैनेजमेंट करने पर ज़ोर दिया. डी राजा की बात को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेसी सांसद जयराम रमेश ने कहा कि "आज व्यवसायीकरण के चलते पर्यावरण की अनदेखी हो रही है. पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ कठिन फैसले लेने होंगे." आखिर में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि "पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है कि हम लोग अपने जीवनचर्या में बदलाव लाए. जब तक वह बदलाव नहीं होगा तब तक कोई भी कदम बहुत ज्यादा कारगर नहीं साबित होगा."


कुल मिलाकर राज्यसभा में करीब सवा घंटे तक चली इस चर्चा के दौरान सभी सांसदों ने एक मत से ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता जाहिर की और एक स्वर में इस बात पर जोर दिया की जलवायु में हो रहे परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे. चार्चा में सभी ने माना कि कदम उठाने की जिम्मेदारी किसी एक राजनैतिक दल, सांसद या मंत्रालय की नहीं बल्कि देश के हर एक नागरिक की है जिससे कि भविष्य में इसके चलते ऐसे हालात में बन जाए कि हमारे आगे के आने वाली पीढ़ी उसका खामियाजा उठाना पड़े.