GNCTD संशोधन बिल को संसद की मंजूरी, अब कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है AAP सरकार
सरकार ने कहा कि इस संशोधन विधेयक को सिर्फ़ पहले से मौजूद क़ानून में और अधिक स्पष्टता लाने के लिए लाया गया है. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के कामों से डर गई है. दिल्ली वालों को मुफ़्त बिजली और मुफ़्त पानी दिया जाना केंद्र सरकार को हज़म नहीं हो रहा.
नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल को ताकतवर बनाने वाले (दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन) जीएनसीटीडी संशोधन विधेयक 2021 को बुधवार रात राज्यसभा में पारित कर दिया गया. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की औपचारिकता के साथ ही ये कानून में बदल जाएगा. बिल के विरोध में कल विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया था. बड़ी बात यह है कि अब इस बिल के खिलाफ आम आदमी पार्टी सरकार कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकती है.
विपक्ष ने किया हंगामा
बुधवार रात 9:30 बजे राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अचानक वोटिंग प्रक्रिया के बीच खड़े होकर कहा, “हमनें सरकार को दिल्ली के इस संशोधन बिल की बहुत सारी ख़ामियां बताईं, लेकिन केंद्र की ये हठीली सरकार नहीं मान रही. इसलिए हम वॉकआउट कर रहे हैं.” कांग्रेस नेता के बयान के बाद पूरे विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
दरअसल विपक्ष जानता था कि इस वक़्त वोटिंग होने पर राज्यसभा में बहुमत केंद्र सरकार के पक्ष में होगा. ये बात इससे ठीक पहले हुई एक वोटिंग से भी साबित हो चुकी थी, जिसमें ‘इस संशोधन बिल को वोटिंग के लिए कंसीडर किया जाय या नहीं’ इस पर वोटिंग हुई थी. बिल के पक्ष में 83 वोट पड़े थे जबकि ना में सिर्फ़ 4.. इस तरह बिना वोटिंग के ही ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन संशोधन विधेयक-2021’ राज्यसभा में भी पास हो गया. लोकसभा में ये बिल 22 मार्च को ही पास हो चुका था.
बिल को लेकर विपक्ष के क्या आरोप हैं?
- इस संशोधन विधेयक से दिल्ली के उपराज्यपाल को सभी अधिकार सौंप दिए जाएंगे. ऐसे में चुनी हुई सरकार महज कठपुतली बना दी जाएगी.
- पहले भी पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड के अधिकार केंद्र सरकार के पास थे. ऐसे में दिल्ली सरकार को पूरी तरह पंगु बनाने के लिए ये संशोधन किया जा रहा है.
- इस विधेयक में राज्यपाल को ही सरकार माना गया है. जबकि राज्यपाल को केंद्र सरकार नामित करती है. ऐसे में फिर चुनी हुई सरकार का क्या महत्व रह जाएगा?
- ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग और समविधान के ख़िलाफ़ है. इसलिए अगर कोर्ट में इसे चैलेंज किया गया तो ये टिक नहीं पाएगा.
- इस विधेयक के लिए पहले समविधान संशोधन ज़रूरी है.
- इससे कार्यपालिका पूरी तरह उपराज्यपाल पर निर्भर हो जाएगी. प्रसाशनिक मुखिया एलजी हो जाएगा.
- ये देश के फ़ेडरल स्ट्रकचर के खिलाफ है.
सदन में हुआ भारी हंगामा
राज्यसभा अमूमन शाम 6 बजे तक चलती है लेकिन इस विधेयक के लिए राज्यसभा रात 9:45 तक चलती रही. इस बीच भारी हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही को दो बार स्थगित भी करना पड़ा. विपक्ष के विधायक चर्चा की शुरुआत में ही बेल में आ गए और जमकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की. फिर विपक्ष की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और डेरेक ओ’ब्रान ने बिल के विरोध में ज़ोरदार दलीलें दीं.
क़ानून में स्पष्टता लाने के लिए लाए हैं संशोधन विधेयक- सरकार
उधर बीजेपी के भूपेन्द्र यादव, राकेश सिन्हा और गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने भी पिछली कांग्रेसी सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए बिल के पक्ष में दलीलें दीं और कहा कि इस संशोधन विधेयक को सिर्फ़ पहले से मौजूद क़ानून में और अधिक स्पष्टता लाने के लिए लाया गया है.
लड़ाई ख़त्म नहीं हुई है- AAP
राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के तीनों सांसद मौजूद थे. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के कामों से डर गई है. दिल्ली वालों को मुफ़्त बिजली और मुफ़्त पानी दिया जाना केंद्र सरकार को हज़म नहीं हो रहा. शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में दिल्ली सरकार की तारीफ़ विश्व स्तर पर हो रही है. और ये सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चुनौती के रूप में दिखाई दे रहा है. उन्हें केजरीवाल से डर लगता है. ये लड़ाई अभी जारी रहेगी. किस रूप में ये लड़ाई आम आदमी पार्टी लड़ेगी ये हम तय कर लेंगे.
यह भी पढ़ें-
यूपी में नन के साथ बदसलूकी: अमित शाह ने दिया जांच का भरोसा, राहुल का RSS पर निशाना