गोवा में आज होगा फ्लोर टेस्ट, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का दावा- 21 विधायक हैं साथ
गोवा में विधानसभा की कुल 40 सीटें और फिलहाल सदन में 36 विधायक हैं. यानि बहुमत के लिए 19 विधायकों की जरूरत होगी. बीजेपी का दावा है कि उसे 21 विधायकों का समर्थन हासिल है.
पणजी: गोवा विधानसभा में आज बीजेपी की नई सरकार का शक्ति परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) होगा. कांग्रेस के सरकार बनाने के दावों के बीच सोमवार को रात के करीब दो बजे विधानसभा के स्पीकर रहे बीजेपी नेता प्रमोद सावंत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद मुख्यमंत्री पद खाली हुआ था.
एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने शक्ति परीक्षण सम्पन्न कराने के लिए साढ़े ग्यारह बजे विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किया है. सदन में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत अपनी सरकार का बहुमत साबित करेंगे. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि उनकी सरकार ने बुधवार को सदन में शक्ति परीक्षण करवाने के लिए कहा है ताकि वह अपना बहुमत साबित कर सके.
क्या है सीटों का गणित? बीजेपी नीत सरकार ने 21 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है. 40 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 36 विधायक हैं. यानि सरकार बरकरार रखने के लिए बीजेपी को 19 विधायकों की जरूरत है. बीजेपी को गोवा फारवर्ड पार्टी (जीएफपी), महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. बीजेपी- 12 विधायक जीएफपी- 3 विधायक एमजीपी- 3 विधायक कांग्रेस- 14 विधायक निर्दलीय-3 विधायक एनसीपी- एक विधायक
ध्यान रहे कि जीएफपी और एमजीपी ने उनकी पार्टी से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त पर सावंत सरकार को समर्थन देने का एलान किया है. जीएफपी प्रमुख विजय सरदेसाई और एमजीपी विधायक सुदिन धावलिकर उपमुख्यमंत्री होंगे.
मुख्यमंत्री सावंत ने कहा कि बीजेपी नीत गठबंधन शक्ति परीक्षण में सफल होगा और गठबंधन एकजुट रहेगा. उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी के सहयोगी उनको समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह सुनिश्चित करने की चेष्टा करूंगा कि गठबंधन एकजुट रहे. मैं लोगों के साथ उसी तरह से बर्ताव करूंगा जिस तरह पर्रिकर करते थे.’’ उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी.
मनोहर पर्रिकर के सुशासन की विरासत को आगे बढाऊंगा-प्रमोद सावंत
पर्रिकर के निधन के बाद राज्य में सत्ता बीजेपी के पास ही बरकरार रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पर्दे के पीछे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इससे जुड़े घटनाक्रमों से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी.
पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध दोनों वरिष्ठ नेताओं द्वारा चतुराई से स्थितियों से निबटने के कारण दूर हुआ. सहयोगी दलों द्वारा अपनी मांगों पर अड़े होने के कारण यह गतिरोध बना था.
राज्य विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव के बाद भी जब भाजपा को बहुमत नहीं मिला था तो गडकरी यहां आए थे. उन्होंने छोटे दलों से बातचीत कर उन्हें मनाया और समर्थन देने के लिए राजी करवाया. इसके बाद ही पर्रिकर के नेतृत्व में बीजेपी नीत गठबंधन सरकार बनी थी.