Goa News: गोवा में बनने वाले एक रिसॉर्ट को लेकर राज्य की राजनीति गरम हो गई है. इसे लेकर वहां की प्रमोद सावंत सरकार पर गोवा के हेरिटेज से खिलवाड़ करने का आरोप लग रहा है. इसी सप्ताह सेव ओल्ड गोवा एक्शन कमेटी के लोग इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड कार्यालय गये थे, जहां सवाल उठाया गया कि 17 हजार लोगों के ऑब्जेक्शन लेने के बावजूद हेरिटेज बफर जोन में रिसॉर्ट बनाने की इजाजत कैसे दे दी गई?
7 हजार लोगों ने प्रोजेक्ट के खिलाफ सहमति दिखाई
सेव ओल्ड गोवा एक्शन कमेटी के सेक्रेटरी फ्रेडी डायस ने कहा कि गोवा की प्रमोद सावंत सरकार ने 22 अक्टूबर 2023 को इस रिसॉर्ट के प्रोजेक्ट की बात सामने रखी और साथ ही यह भी कहा गया कि 30 दिनों के भीतर प्रोजेक्ट को लेकर जिसे ऑब्जेक्शन है, वो सरकार को बताएं. फ्रेडी ने आगे बताया कि सरकार के इस रिसॉर्ट के निर्णय के खिलाफ 17 हजार लोगों ने ऑब्जेक्शन लिया और यह प्रोजेक्ट नहीं आना चाहिए इस पर सहमति दिखाई. इसके बावजूद रिसॉर्ट बनाने की मंजूरी मिल गई.
प्रकृति का होगा बड़ा नुकसान
फ्रेडी डायस ने बताया की ओल्ड गोवा यूनिस्को वर्ड हेरिटेज साइट है और यहां इस तरह का प्रोजेक्ट लाया गया तो गोवा के सबसे बड़े हेरिटेज में से एक का बहुत नुकसान होगा. फ्रेडी ने यह बताया कि अगर ये प्रोजेक्ट यहां आता है तो यहां बहुत से पेड़ को काटना पड़ेगा और प्रकृति का बहुत बड़ा नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, "हम सबके विरोध के बाद 22 दिसंबर 2023 में बोर्ड की बैठक हुई, जहां गोवा के दूसरे प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी गई. इस प्रोजेक्ट को लेकर गोवा के लोगों में जो आक्रोश है, उसे देखने के बाद सरकार ने अभी तक यह साफ नहीं किया कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी भी है या नहीं."
प्रोजेक्ट को तुरंत रद्द करने की मांग की गई
सेव ओल्ड गोवा एक्शन कमेटी के कॉर्डिनेटर पीटर वेगस ने आरोप लगाया है कि ऑवर लेडी ऑफ द माउंट चैपल, एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसे रखरखाव के लिए नहीं, बल्कि इसके पास चल रहे प्रोजेक्ट की वजह से एक साल के लिए बंद कर दिया गया है. वहीं पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 1.17 करोड़ रुपये की लागत से पहले चरण में केवल सागौन की लकड़ी का उपयोग कर चर्च की छत की मरम्मत की गई थी.
फ्रेडी डायस ने सरकार से इस प्रोजेक्ट को तुरंत रद्द करने की मांग की है. उन्होंने प्रोजेक्ट स्थल पर 10,000 वर्ग मीटर के पेड़, एक तीव्र ढलान और विरासत क्षेत्र के बफर में होने का हवाला देते हुए बोर्ड के सदस्यों की विशेषज्ञता पर सवाल उठाया है.
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