पणजी: गोवा सरकार ने 'तहलका' पत्रिका के संस्थापक तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न के मामले में बरी किये जाने के सत्र अदालत के निर्णय को मंगलवार को उच्च न्यायालय में चुनौती दी.
गोवा की एक सत्र अदालत ने तेजपाल को 2013 में राज्य के एक आलीशान होटल की लिफ्ट में महिला साथी के यौन उत्पीड़न के आरोपों से 21 मई को बरी कर दिया था. गोवा के एडवोकेट जनरल देवीदास पंगम ने बताया कि राज्य सरकार ने बंबई हाई कोर्ट की गोवा पीठ के समक्ष इस आदेश को चुनौती दी है.
हाई कोर्ट ने अभी अपील पर सुनवाई की तारीख तय नहीं की है. तेजपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), धारा 376 की उपधारा दो (फ) (पद का दुरुपयोग कर अधीनस्थ महिला से बलात्कार) और 376 (2) (क) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चला.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था. गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा था कि उनकी सरकार तेजपाल के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेगी क्योंकि उसे विश्वास है कि पत्रकार के खिलाफ सबूत मौजूद हैं. यह कथित घटना सात नवंबर 2013 को हुई थी. यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद तेजपाल ने तहलका के प्रधान संपादक के पद से इस्तीफा दे दिया था.