Gujarat Riots Case: लोगों की हत्या कर लाशें जलाने का था आरोप, नहीं मिले सबूत, अब 22 आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी
Post Godhra Riots: इन 22 आरोपियों में से आठ आरोपियों की मामले की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई. इस मामले को लेकर 2004 में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी.
Gujarat Riots: गुजरात (Gujarat) की एक अदालत ने 24 जनवरी को अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों की हत्या के मामले में 22 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. यह मामला कोर्ट में लगभग 18 साल तक चला, जोकि 2002 में हुए गोधरा कांड से जुड़ा है. आरोपियों पर दो बच्चे समेत अल्पसंख्यक समुदाय के 17 लोगों को मारने का आरोप था. 28 फरवरी 2002 में इन लोगों की हत्या की गई थी और सबूत मिटाने के लिए इनकी लाशें भी जला दी गई थीं.
बचाव पक्ष के वकील गोपालसिंह सोलंकी ने बताया कि एडिशनल सेशन जज हर्ष त्रिवेदी की अदालत ने मंगलवार को सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. इनमें से आठ आरोपियों की मामले की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई. उन्होंने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मामले को लेकर सबूत नहीं थे. दरअसल, 7 फरवरी 2002 को पंचमहल जिले के गोधरा कस्बे के पास भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी थी. इसके बाद ही यह दंगे भड़के थे.
2004 में हुई थी आरोपियों की गिरफ्तारी
28 फरवरी को राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए. इन दंगों में कुल 59 यात्रियों की मौत हो गई थी. डेलोल गांव में हिंसा के बाद हत्या और दंगे से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी. एक दूसरे पुलिस इंस्पेक्टर ने घटना के लगभग दो साल बाद 2004 में नए सिरे से मामला दर्ज किया और दंगों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में 22 लोगों को गिरफ्तार किया था.
गवाह भी कोर्ट में मुकर गए
वकील सोलंकी ने कहा कि मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्ठा नहीं किए गए और गवाह भी कोर्ट में मुकर गए थे. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़ितों के शव कभी नहीं मिले. पुलिस ने एक नदी के किनारे एक सुनसान जगह से हड्डियां बरामद कीं, लेकिन वे इस हद तक जली हुई थीं कि उनकी पहचान ही नहीं हो सकी.
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