गोधराकांड: किसी दोषी को फांसी नहीं, HC ने 11 दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली
कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा और घायलों को भी मुआवजा मिलेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने अवलोकन किया है कि उस वक्त की सरकार कानून और व्यवस्था बनाये रखने में सरकार विफल रही.
नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा कांड में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत से बरी किए गए 63 आरोपियों को भी मुक्त रखा है. कोर्ट के फैसले के बाद साफ हो गया है कि गोधरा कांड में अब किसी को फांसी नहीं होगी.
मुआवजे का एलान, सरकार कानून व्यवस्था में असफल कोर्ट ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा और घायलों को भी मुआवजा मिलेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने अवलोकन किया है कि उस वक्त की सरकार कानून और व्यवस्था बनाये रखने में सरकार विफल रही.
किन किन दोषियों की सजा फांसी से उम्रकैद में बदली अब्दुल रज्जाक मोहम्मद कुरकुर, बिलाल इस्माइल अब्दुल माजिद सुजेला उर्फ बिलाल हाजी, हसन अहमद चरखा उर्फ लालू, महमूद अहमद यूसुफ उर्फ लातिको, रजमानी बिनयामिन बेहरा, जाबिर बिनयामिन बेहरा, सलीम युसुफ सत्तार जर्दा उर्फ सलमान, सिराज मोहम्मद अब्दुल मेड़ा उर्फ बाला, इरफान अब्दुल माजिद घांची कलंदर उर्फ इरफान भोपू, इरफान मोहम्मद हनीफ अब्दुलगनी पटियाला
क्या है मामला? 27 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगा दी गई थी. सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर हुई इस घटना में अय़ोध्या से लौट रहे 59 कार सेवकों की जलकर मौत हो गई थी.
साबरमती ट्रेन की एस-6 बोगी को जलाने के मामले में एसआईटी की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 63 को बरी कर दिया था. 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई जबकि 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
दोषियों और सरकार दोनों ने की थी हाईकोर्ट में अपील कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दोषी और सरकार दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की थी. सरकार ने कहा था कि दोषियों को दी गई सजा कम है, साथ ही जिन लोगों को बरी किया गया है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं दोषियों ने अपील की थी कि उन्हें न्याय नहीं मिला है.