Social Media: सरकार से कर सकेंगे 'फेसबुक- ट्विटर' की शिकायत, 3 महीनों के अंदर बन जाएगी ग्रीवांस कमेटी
कोविड के दौरान ट्विटर ने सरकार की शिकायतों पर ये कहते हुए ध्यान देने से मना कर दिया कि उस पर भारत के नियम लागू नहीं होते. इसी समय तय हुआ कि सरकार इनसे निपटने के लिए ग्रीवांस सेल का गठन कर सकती है.
Grievance Committees For Social Media: सोशल मीडिया यूजर्स अब जल्द ही ट्विटर और फेसबुक की सरकार से शिकायत कर सकेंगे. सरकार आने वाले 3 महीनों में एक ग्रीवांस कमेटी का गठन करने जा रही है. ये कमेटी, यूजर्स को फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफार्म के उन नियमों और निर्णयों से असहमत होने की स्थिति में शिकायत करने का एक विकल्प होगी.
ये ग्रीवांस कमेटी यूजर की उन शिकायतों और परेशानियों को सुनेगी जिनको सोशल मीडिया कंपनियों की वजह से हो रहे हैं और कंपनी उन समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है. शुक्रवार (28 अक्टूबर) को जारी गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक तीन महीने के अंदर इन कमेटियों का गठन कर दिया जाएगा. इस कदम को बड़ी टेक कंपनियों फेसबुक और ट्विटर के ऊपर नियंत्रण के रूप में देखा जा सकता है.
कैसे आया कमेटी बनाना का विचार?
इन कमेटियों को बनाने का विचार पिछले साल तब आया था जब ट्विटर और आईटी मंत्रालय के बीच तीखी बयान-बाजी हुई थी. कोविड के दौरान ट्विटर ने सरकार की शिकायतों पर ये कहते हुए ध्यान देने से मना कर दिया कि उस पर भारत सरकार के कानून लागू नहीं होते. सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) शोधन नियम, 2022 के तहत आने वाले तीन महीनों के भीतर अपीलीय समितियों की स्थापना करेगी.
कैसी होगी ये समिति?
सरकार द्वारा बनाई जा रही इस समिति में एक अध्यक्ष और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे. इन सदस्यों में से एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र सदस्य होंगे. ग्रीवांस अधिकारी के डिसिजन से असंतुष्ट कोई भी व्यक्ति शिकायत अधिकारी से बातचीत होने के 30 दिनों के भीतर इस शिकायत अपील समिति के सामने अपील कर सकेगा.
ये पैनल शिकायतों का निस्तारण काफी तेजी के साथ करेगा और तीस कैलेंडर दिनों के भीतर शिकायत को अंतिम रूप से निपटाएगा. संशोधित नियमों के तहत इन कंपनियों को 24 घंटे के भीतर उपयोगकर्ताओं की शिकायतों को स्वीकार करना होगा. उन्होंने कहा कि सूचना निकालने के अनुरोध के मामले में 15 दिनों या 72 घंटों के भीतर उनका समाधान करना होगा.