Jagdeep Dhankhar: उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि विदेश जाना अब देश के बच्चों में नई बीमारी है. ये तो विदेशी मुद्रा और प्रतिभा का पलायन है. शिक्षा के व्यवसायीकरण से इसकी गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ रहा है, जो देश के भविष्य के लिए अच्छी बात नहीं है.
राजस्थान के सीकर में शनिवार (19 अक्टूबर, 2024) को एक निजी शिक्षण संस्थान की ओर से हुए कार्यक्रम में जगदीप धनखड़ बोले, "बच्चों में एक और नई बीमारी है- विदेश जाने की. बच्चा उत्साह से विदेश जाना चाहता है. वह एक नया सपना देखता है लेकिन वह किस संस्थान में जा रहा है, किस देश में जा रहा है, इसका कोई आकलन नहीं होता."
इस साल 13 लाख स्टूडेंट्स गए विदेश
जगदीप धनखड़ बोले, "ऐसा अनुमान है कि साल 2024 में तकरीबन 13 लाख स्टूडेंट्स विदेश गए. उनके भविष्य का क्या होगा? फिलहाल इसका आकलन किया जा रहा है. लोग समझ रहे हैं कि अगर उन्होंने यहां पढ़ाई की होती तो उनका भविष्य कितना उज्ज्वल होता." उप-राष्ट्रपति के अनुसार, 'इस नाली' ने "हमारी विदेशी मुद्रा में छह अरब डॉलर का छेद" पैदा किया. ऐसे में जगदीप धनखड़ ने उद्योग जगत के नेताओं से स्टूडेंट्स को जागरूक करने और प्रतिभा पलायन के साथ विदेशी मुद्रा के नुकसान को रोकने में मदद करने की अपील की.
शिक्षा का व्यवसाय में बदलना देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं- जगदीप धनखड़
उप-राष्ट्रपति बोले, "कल्पना कीजिए…अगर छह बिलियन अमेरिकी डॉलर शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में लगाए जाएं, तो हम कहां खड़े होंगे! मैं इसे विदेशी मुद्रा पलायन तथा प्रतिभा पलायन कहता हूं. ऐसा नहीं होना चाहिए. संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे अपने छात्रों को विदेशी स्थिति के बारे में जागरूक करें". उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का व्यवसाय में बदलना राष्ट्र के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. कुछ मामलों ऐसे हैं, जहां यह जबरन वसूली का रूप भी ले रहा है. यह चिंता का विषय है. उन्होंने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग का आह्वान किया. धनखड़ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी प्रशंसा की, जिसे उन्होंने गेम चेंजर भी कहा.