Gold Hallmarking: आज से अनिवार्य हुई सोने की हॉलमार्किंग, फ़िलहाल 256 ज़िलों में शुरू हुआ नियम
एक बड़ी छूट ये दी गई है कि कोई भी ज्वेलर्स बिना हॉलमार्किंग वाले पुराने आभूषणों को ग्राहकों से पहले की तरह ख़रीद सकेंगे. पुराने आभूषणों की या तो उसी रूप में हॉलमार्किंग करवाई जा सकती है या फिर उसे गलाकर नए आभूषण बनाकर. वहीं घर में रखे सोने के आभूषणों को भी इस नियम से बाहर रखा गया है.
नई दिल्लीः साल 2000 से ही देश में हॉलमार्किंग की व्यवस्था है लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है. फ़िलहाल देश में 30 फ़ीसदी सोने की ही हॉलमार्किंग की जाती है. अगर आप सोना ख़रीदने की योजना बना रहे हैं तो ये ख़बर आपके लिए बेहद ज़रूरी है. सरकार की ओर से सोने के आभूषण की हॉलमार्किंग अब अनिवार्य हो गया है.
इसका मतलब ये हुआ कि उसके बाद कोई भी ज्वेलर्स बिना हॉलमार्किंग के सोने के आभूषण नहीं बेच पाएंगे. फ़िलहाल ये नियम देश के चुनिंदा ऐसे 256 ज़िलों में लागू हुआ है. इन जिलों में सोने की जांच के लिए सेंटर बनाए गए हैं. सरकार की कोशिश है कि इसे जल्द पूरे देश में लागू कर दिया जाए.
कुछ आभूषणों पर है छूट
हालांकि, कुछ किस्म के सोने के आभूषणों और वस्तुओं को अभी इस नियम से छूट दी गई है. ऐसे ज्वेलर्स जिनका टर्नओवर 40 लाख रुपए से कम है उन्हें इस नियम से छूट दी गई है. मतलब, वो बिना हॉलमार्किंग के भी सोना बेच सकते हैं. घड़ियां, फाउंटेन पेन और कुंदन, पोलकी और जड़ाऊ जैसे विशेष किस्म के सोने के आभूषणों पर भी ये नियम लागू नहीं होगा.
हालांकि, सरकार ने ये साफ़ किया है कि 31 अगस्त तक इस नियम का पालन नहीं करने वाले ज्वेलर्स के ख़िलाफ़ न तो कोई कार्रवाई की जाएगी और न ही कोई पेनाल्टी लगाई जाएगी.
नए नियम के मुताबिक़ अगर कोई आभूषण निर्माता या ज्वेलर्स बिना हॉलमार्किंग के सोना बेचेगा तो उसे 1 साल की जेल की सज़ा या 5 लाख रूपए तक का ज़ुर्माना या फिर दोनों हो सकता है.
हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद अब तीन ग्रेडों यानि 14,18 और 22 के अलावा 20 , 23 और 24 कैरेट के सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग ही सकेगी. अभी तक कुल 10 ग्रेडों में सोेने के आभूषण मिलते हैं.
हॉलमार्किंग दुनिया भर में धातुओं से बने सामानों में उस धातु की मात्रा जानने का सबसे प्रामाणिक और सटीक तरीका माना जाता है. इसे सोने के आभूषणों में सोने की मात्रा की गारंटी माना जाता है और इससे असली और नकली सोने के आभूषणों की पहचान करना आसान हो जाता है.
भारत में हॉलमार्किंग की ज़िम्मेदारी भारतीय मानक ब्यूरो यानि बीआईएस के पास है. हॉलमार्किंग वाले सोने के आभूषणों पर कैरेट में सोने की शुद्धता, बीआईएस का निशान ,शुद्धता मापने वाले सेंटर का नाम और आभूषण बेचने वाले दुकान का निशान अंकित होता है.
बीआईएस से रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य होगा
बीआईएस यानि भारतीय मानक ब्यूरो कानून, 2016 के तहत केंद्र सरकार को सोने की हॉलमार्किंग ज़रूरी बनाने का अधिकार दिया गया था. नियम के तहत आभूषण बेचने वाले ज्वैलर्स को बीआईएस से रजिस्ट्री करवाना होगा. रजिस्ट्री करवाने के बाद ज्वैलर्स केवल बीआईएस प्रमाणित किसी सेंटर से ही सोने की शुद्धता की जांच करवा पाएंगे. आभूषण निर्माता हॉलमार्क वाले आभूषण ही बेच पाएंगे.
हॉलमार्किंग अबतक अनिवार्य नहीं
फिलहाल भारत में सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था तो है लेकिन उसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है। अगर चाहे तो सोने के आभूषणों का कोई निर्माता भारतीय मानक ब्यूरो से अपने उत्पाद के लिए हॉलमार्किंग का अधिकार ले सकता है. फिलहाल देश के कुल आभूषण निर्माताओं में से 10 फ़ीसदी से भी कम ने अपने सोने की हॉलमार्किंग करवाई हुई है. फ़िलहाल देश में 35879 जौहरी ऐसे हैं जिन्होंने बीआईएस से पंजीकरण करवाया हुआ है जबकि देश में ज्वैलर्स की संख्या चार लाख बतायी जाती है. देश के 256 ज़िलों में ऐसे 892 सेंटर हैं जहां सोने की हॉलमार्किंग की जाती है.
भारत में साल 2000 से ही सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था है लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सका है. भारत में सोने की बड़े पैमाने पर खपत होती है. 1982 में जहां देश में सालाना केवल 65 टन सोने की खपत थी, वहीं अब ये बढ़कर 800 टन से भी ज़्यादा हो गई है. इनमें से 80 फीसदी सोने की खपत घरेलू कामों में होती है.
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