नई दिल्लीः गुप्तेश्वर पाण्डेय को बिहार का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनाया गया है. राज्य सरकार के गृह विभाग की जारी अधिसूचना के अनुसार कहा गया है कि गुप्तेश्वर पाण्डेय बिहार पुलिस के नए माहनिदेशक होंगे. गुप्तेश्वर पाण्डेय 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. इससे पहले वह बिहार में डीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे. गुप्तेश्वर पाण्डेय केएस द्विवेदी का स्थान लेंगे. द्विवेदी आज ही रिटायर्ड हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि गुप्तेश्वर पाण्डेय आज ही पद और गोपनियता की शपथ लेंगें.
कई बार डीजीपी के चुनाव के बाद सरकार और विपक्ष आमने सामने हो जाते हैं. एक तरफ विपक्ष डीजीपी के चुनाव के लिए सरकार पर आरोप लगाती है तो दूसरी ओर सरकार या तो बचाव करती है या विपक्ष पर हमलावर हो जाती है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है की अखिर कैसे होता है डीजीपी का चुनाव? क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है? क्या काम होता है डीजीपी का?
डीजीपी का फुल फॉर्म
DGP का फुल फॉर्म होता है Director General of Police (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) इसे हिंदी में हम 'पुलिस महानिदेशक' भी कहते हैं. इस पद पर रहने वाला व्यक्ति राज्य पुलिस विभाग का मुखिया माना जाता है.
एक राज्य में कितने डीजीपी होते हैं?
भारत के सभी राज्यों में डीजीपी का मात्र एक पद होता है. प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखना, जनता कानून का पालन करे, पुलिस कानून की रक्षा करें समेत कई ऐसे कार्य होते हैं जो डीजीपी के अधीन आते हैं.
कौन बन सकता है डीजीपी
डीजीपी बनने के लिए कोई भी सीधी भर्ती नहीं होती है. सबसे पहले आपको यूपीएससी के तहत होने वाले परीक्षा को पास करना होता है फिर आईपीएस का रैंक चुनना होता है. जिसके बाद यूपीएससी आपके काम, काम करने का तरीका और काम के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोशन मिलता है और अंत में इस पद तक पहुंच सकते हैं.
डीजीपी बनने के लिए न्यूनतम उम्र की कोई सीमा नहीं है लेकिन यह जरूरी है कि आप डीजी रैंक के अधिकारी हों. साथ ही कार्य अवधि के दौरान अच्छा काम किया हो.
डीजीपी चुनाव को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबकि किसी भी अधिकारी को को भी डीजीपी बनाने से पहले उसे ट्रेनी बनाना जरूरी है. कम से कम वह डीजी रैंक का अधिकारी हो. अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा है कि एक्टिंग डीजीपी का कोई पोस्ट नहीं होता है.
एक्टिंग पोस्ट को लेकर कोर्ट ने कहा था कि किसी भी डीजीपी के कार्यकाल खत्म होने के तीन महीने पहले राज्य सरकार कुछ नाम को यूपीएसी को भेजेगा जिसके बाद वह इस लिस्ट में जोड़ या घटाकर सरकार को लौटाएगा.
इस लिस्ट में से राज्य सरकार किसी भी नाम का चुनाव कर सकती है. कोर्ट के मुताबिक डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल जरूरी है. इस पद के लिए उपयुक्त अधिकारी का चुनाव राज्य सरकार ही कर सकती है.
1987 बैच के IPS अधिकारी गुप्तेश्वर पाण्डेय बने बिहार के नए DGP