SCO Summit 2022: एससीओ समिट से भारत के लिए आई अच्छी खबर, पाकिस्तान को झटका, जानिए 10 बड़ी बातें
SCO Summit 2022 Big Points: अब SCO के तहत काम करने वाले RATS यानि रीजनल एंटी टेरर स्ट्रक्चर में घोषित आतंकियों और कट्टरपंथी संगठनों का एक रजिस्टर होगा, जो SCO सदस्य देशों में सक्रिय हैं.
SCO Summit 2022 Latest Update: पीएम मोदी (PM Modi) शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में हिस्सा लेने के बाद समरकंद से रवाना हो गए हैं. एससीओ समिट से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत कई वैश्विक नेताओं से वहां मुलाकात की. एससीओ शिखर सम्मेलन से भारत के लिए एक कामयाबी की खबर है. अब SCO के तहत काम करने वाले RATS यानि रीजनल एंटी टेरर स्ट्रक्चर में घोषित आतंकियों और कट्टरपंथी संगठनों का एक रजिस्टर होगा, जो SCO सदस्य देशों में सक्रिय हैं.
अक्टूबर 2021 से भारत RATS की कार्यकारी परिषद का सदस्य है और इस संदर्भ में भारत ने इस एकीकृत रजिस्टर के प्रस्ताव के लिए काफी प्रयास किए हैं. भारत के अध्यक्ष रहते ही इस प्रस्ताव पर मुहर भी लग गई. इससे पाकिस्तान को अब घोषित आतंकियों पर कार्रवाई न करने का दबाव SCO के मंच पर भी झेलना होगा. साथ ही चीन के लिए भी घोषित आतंकियों की सुरक्षा परिषद लिस्टिंग का रास्ता रोकना मुश्किल बनेगा.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सालाना शिखर सम्मेलन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस साल 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है और यह दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा होगी. पीएम मोदी ने उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद में अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में प्रगति कर रहा है. उन्होंने इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का जिक्र किया.
- उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में प्रगति कर रहे हैं. देश के युवा और प्रतिभाशाली कार्यबल ने हमें स्वभाविक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाया है.’’ प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में मौजूदा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और समूह के अन्य नेताओं की मौजूदगी में यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘‘हम हर क्षेत्र में नवोन्मेष को समर्थन कर रहे हैं. आज भारत में 70,000 से अधिक स्टार्टअप हैं. इसमें से 100 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले) हैं. हमारा अनुभव SCO के अन्य सदस्य देशों के लिये उपयोगी हो सकता है.’’
- पीएम मोदी ने कहा, ‘‘इसके लिये हम स्टार्टअप और नवोन्मेष पर विशेष कार्यकारी समूह गठित कर SCO सदस्य देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने को तैयार हैं.’’ उन्होंने कहा कि भारत जन-केंद्रित विकास मॉडल में प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग पर काफी ध्यान दे रहा है. उल्लेखनीय है कि भारत अब भी तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है. हाल में भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.
- संबोधन में पीएम मोदी ने कोविड-19 महामारी और यूक्रेन संकट के कारण उत्पन्न बाधाओं से निपटने को लेकर शंघाई सहयोग संगठन के लिये भरोसेमंद और मजबूत आपूर्ति व्यवस्था विकसित करने की जरूरत की बात कही. SCO की शुरुआत जून, 2001 में शंघाई में हुई थी. इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए थे.
- वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से मुलाकात की और इस दौरान दोनों ने विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समरकंद में SCO के सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति आर टी एर्दोआन से बातचीत की. दोनों नेताओं ने विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.’’ दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और द्विपक्षीय व्यापार में हाल में हुए फायदों को सराहा. क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया.’’
- वहीं पाकिस्तान के करीबी सहयोगी देश तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्रों में अपने भाषण में बार-बार कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया है. भारत ने उनके बयानों को ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताते हुए कहा था कि तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना और अपनी नीतियों में अधिक गहनता से इसे व्यक्त करना सीखना चाहिए. रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में SCO की स्थापना की थी. भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे. समरकंद सम्मेलन में ईरान को SCO के स्थायी सदस्य का दर्जा दिया जा सकता है.
- इसके साथ ही पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से अलग ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की. ईरान खाड़ी क्षेत्र में भारत के लिए एक प्रमुख देश रहा है. दोनों देश दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य एशिया के बीच संपर्क में सुधार पर संयुक्त रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. भारत, ईरान के चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश करता रहा है.
- ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत स्थित चाबहार बंदरगाह को कनेक्टिविटी और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा विकसित किया जा रहा है. पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के अधिग्रहण के बाद से भारत पड़ोसी देश अफगानिस्तान के घटनाक्रमों को लेकर ईरान के साथ संपर्क में है. इस महीने की शुरुआत में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ईरानी समकक्ष हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के साथ द्विपक्षीय सहयोग और ईरान के परमाणु समझौते पर ध्यान केंद्रित करते हुए टेलीफोन पर बातचीत की थी.
- वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव से मुलाकात की और द्विपक्षीय व आपसी हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श किया. इससे पहले पीएम मोदी 22वें SCO शिखर सम्मेलन में भाग लिया, जिसकी मेजबानी ऐतिहासिक शहर समरकंद में राष्ट्रपति मिर्जियोयेव ने की. SCO की शुरुआत 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें छह संस्थापक सदस्य चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. बाद में यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभर कर सामने आया. भारत और पाकिस्तान को 2017 में पूर्ण सदस्य का दर्जा दिया गया था.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर बातचीत की. इस साल फरवरी में यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात है. ऐसा समझा जाता है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. भारत ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए अब तक रूस की आलोचना नहीं की है. भारत बातचीत के जरिए संकट के समाधान पर जोर दे रहा है.