नई दिल्ली: बीजेपी ने उपेंद्र दत्त शुक्ल को उप चुनाव के लिए टिकट दिया है. 11 मार्च को मतदान होगा और 14 मार्च को नतीजे आएंगे. यूपी का सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के सांसद से इस्तीफा दे दिया था. वे यहां से लगातार पांच बार एमपी रहे हैं. गोरखपुर लोकसभा सीट पर शुरू से ही गोरक्ष पीठ का दबदबा रहा है. इस मंदिर के महंत एक दो बार नहीं बल्कि दस बार यहां से सांसद रहे.
सबसे पहले योगी आदित्यनाथ के गुरु के गुरु महंत दिग्विजयनाथ 1967 में यहाँ से एमपी बने. वो भी बिना किसी पार्टी के सहारे यानी निर्दलीय. इसके बाद उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर से चार बार लोक सभा के लिए चुने गए. वे पहली बार निर्दलीय ही 1970 में एमपी बने. इसके बाद गोरखपुर की सीट पर एक बार लोक दल और लगातार दो बार कांग्रेस जीत गयी. लेकिन महंत अवैद्यनाथ फिर 1989 में हिन्दू महासभा की टिकट पर लोक सभा का चुनाव जीत गए. 1991 और 1996 में वे बीजेपी से सांसद बने. फिर बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थय के कारण महंत अवैद्यनाथ ने राजनीति से संन्यास ले लिया. योगी आदित्यनाथ उनके उत्तराधिकारी बनाये गए.
पहली बार बस 26 साल की उम्र में योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरु के बदले गोरखपुर से चुनाव लड़ा. बात 1998 की है. योगी इस चुनाव में 26 हज़ार वोटों से ही जीत पाए. साल भर बाद 1999 में हुआ लोक सभा चुनाव कांटे का रहा. योगी आदित्यनाथ बड़ी मुश्किल से 7339 वोटों से जीत पाए. लेकिन इसके बाद उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता रहा. 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ की जीत आसान रही. पिछले लोक सभा चुनाव में योगी तीन लाख से भी अधिक वोटों से जीते थे. लेकिन 28 साल बाद गोरखपुर का एमपी गोरक्ष पीठ का नहीं हो पायेगा.
बीजेपी ने जिस उपेंद्र दत्त शुक्ल को टिकट दिया है, वे कभी योगी आदित्यनाथ के विरोधी माने जाते थे. बात साल 2004 की है. उपेंद्र दत्त शुक्ल कौड़ीराम विधान सभा सीट से उप चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अपने करीबी शीतल पांडे को टिकट दिला दिया. बीजेपी से बगावत कर शुक्ल चुनाव लड़े लेकिन बुरी तरह हारे. बाद में बीजेपी में उनकी घरवापसी हो गयी. अब वे बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं और योगी से हरी झंडी मिलने के बाद पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है.