नई दिल्ली: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त से 12 अगस्त के बीच 48 घंटे के भीतर 36 बच्चों की मौत पर आज डीएम की जांच रिपोर्ट आई. इस रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स को ऑक्सीजन की आपूर्ति करने रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.


गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला ने अपनी रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि लिक्विड ऑक्सीजन सिलेंडर का स्टॉक बुक मेंटेन करने की जिम्मेदारी डॉक्टर सतीश ने ठीक से नहीं निभाई और स्टॉक बुक में ओवरराइटिंग की गई. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा और डॉक्टर सतीश कुमार समस्या की जानकारी दिए बिना मेडिकल कॉलेज छोड़कर चले गए.


क्या है पूरा मामला?


दरअसल गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक गई थी. जिसकी वजह से 36 बच्चों की मौत हो गई थी. बताया गया कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी और बच्चों की जान सिर्फ एक पंप के सहारे टिकी हुई थी.  हालांकि अब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरु की जा चुकी है.


क्यों हुआ ये हादसा?


अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का 66 लाख रुपए से ज्यादा बकाया था. इस मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई का जिम्मा लखनऊ की निजी कंपनी पुष्पा सेल्स का है. तय अनुबंध के मुताबिक मेडिकल कॉलेज को दस लाख रुपए तक के उधार पर ही ऑक्सीजन मिल सकती थी. एक अगस्त को ही कंपनी ने गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज चिट्ठी लिखकर ये तक कह दिया था, कि अब तो हमें भी ऑक्सीजन मिलना बंद होने वाली है.


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