नई दिल्ली : गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 3 दिन में 36 बच्चों की मौत के बाद से हड़कंप मचा हुआ है. ऐसे में बच्चों की मौत का जिम्मेदार किसे माना जाए यह बड़ा सवाल है. लेकिन इसी बीच हॉस्पिटल में इन्सेफलाइटिस डिपार्टमेंट के इंचार्ज डॉक्टर कफील खान मौत से लड़ने वाले मसीहा के तौर पर उभर कर आए हैं.
कफील खान ने पिछले महीने ही बता दिया था कि अस्पताल में डॉक्टरों की खासी कमी हैं, जिसकी वजह से इलाज में दिक्कत होती है. गोरखपुर में जिन बच्चों की मौत हुई उनमें सबसे ज्यादा कफील खान के वॉर्ड में हुई. मासूम मरते रहे और डॉ. खान उन्हें देख छटपटाते रहे.
बता दें कि गुरुवार की रात के करीब 2 बज रहे थे. कफील खान को जानकारी मिली कि ऑक्सीजन खत्म होने वाली है. कफील खान की नींद उड़ गई, तुरंत वो अपनी गाड़ी से मित्र डॉक्टर के अस्पताल पहुंचे और वहां से ऑक्सीजन का 3 जंबो सिलेंडर लेकर के सीधे बीआरडी हॉस्पिटल आ गए. कुछ देर के लिए डॉ. कफील खान के प्रयास से राहत हो गई. लेकिन सुबह जब ऑक्सीजन खत्म हुई तो अस्पताल में हाहाकार मच गया.
डॉ. कफील खान को गोरखपुर में मृत्युहर्ता के तौर पर पहचाना जाता है. लेकिन अपनी लाख कोशिशों के बावजूद वो उन 36 बच्चों को नहीं बचा सके जिनकी मौत हो गई.
उनके ड्राइवर सूरज पांडे यह मानते हैं कि वह अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ करते हैं और उनके द्वारा कोई लापरवाही नहीं बरती गई है. बस्ती के रहने वाले सूरज डेढ़ साल से डॉक्टर कफील खान की फॉर्च्यूनर गाड़ी चला रहे हैं. वह बताते हैं कि जिस दिन ज्यादा बच्चों की मौत हुई उस दिन भी डॉक्टर कफील खान 3:00 बजे रात तक मेडिकल कॉलेज में ही थे.
दिमागी बुखार से पीड़ित अपने बच्चों को इलाज के लिए इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती कराने वाले गंगाराम और हरेंद्र कुमार गुप्ता भी डॉक्टर कफील खान के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वह समय-समय पर उनके बच्चों को देखने आते रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें भी पता चला कि ऑक्सीजन की कमी से कई बच्चों की मौत हुई है. डॉक्टर कफील खान की सभी तारीफ कर रहे हैं और यह कह रहे हैं कि वह पूरी निष्ठा के साथ अपना काम कर रहे हैं.
हालांकि एक बात तय है कि अस्पताल के खिलाफ हो रही प्रशासनिक जांच में उनसे भी सवाल जरूर किए जाएंगे.