गोरखपुर ट्रेजडी: सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा- 'BRD कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई पर हो रही कमीशनखोरी'
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा ‘‘ 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत खराब हैं. आप मुझे 8-10 महीने का समय दीजिए. मैं स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर ला दूंगा.’’
इलाहाबाद: यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत पर अफसोस जताते हुए कहा है कि कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमीशनखोरी चल रही थी.
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति के लिए 68 लाख रुपये की मांग के उलट सरकार ने 2 करोड़ रुपये 5 अगस्त को ही जारी कर दिए गए थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने भुगतान 11 अगस्त को किया गया है और वह भी सिर्फ 20 लाख रुपये. इतना कम भुगतान वहां चल रही कमीशनखोरी की वजह से ही हुआ है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है, 'गोरखपुर की घटना के अगले ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे अपने आवास पर बुलाया था. मुझे कहा गया था कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन के साथ गोरखपुर जाकर इस घटना की असल वजह पता लगाई जाए.
उन्होंने कहा है कि गोरखपुर में हमने चार घंटे की बैठक की. इस बैठक में यह बात निकलकर सामने आई है कि जापानी बुखार के सबसे ज्यादा मरीज बीआरडी मेडिकल कालेज में आते हैं. हमने सप्लाई का अनुबंध देखा जिसमें उपभोक्ता बीआरडी कॉलेज है और आपूर्तिकर्ता कंपनी नागपुर की आईनाक्स है. बीच में पुष्पा सेल्स नाम से एक डीलर घुसा दिया गया है और इसकी जांच की जा रही है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘जापानी बुखार नाम की बीमारी कल ही नहीं आई है,इससे प्रदेश के 38 जिले प्रभावित हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन 3000-4000 मरीज आते हैं. हमारी सरकार प्रभावित जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पैडियाट्रिक्स आईसीयू में वेंटिलेटर्स की सुविधाएं मुहैया करा रही है ताकि मरीजों को शहरों में न आना पड़े.’’
सिंह ने कहा ‘‘ 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत खराब हैं. आप मुझे 8-10 महीने का समय दीजिए. मैं स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर ला दूंगा.’’
गौरतलब है कि गोरखपुर स्थित बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में 48 घंटे में 30 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. जिसके बाद गत शनिवार को यूपी सरकार ने बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था और प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच बैठाई गई.