किसान आंदोलन के बीच SC की तरफ से गठित कमेटी ने की नए कृषि कानूनों पर चर्चा, 8 राज्यों के किसान संगठन हुए शामिल
राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार की तरफ से दिए गए उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें डेढ साल तक इस कानून को निलंबत कर कमेटी बनाने की सिफारिश की गई थी.
केन्द्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में संसद से पास कराए गए तीन नए कृषि कानूनों पर जारी विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हाल में गठित समिति ने किसान संगठनों के साथ चर्चा की. इसमें 8 राज्य- कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठन शामिल हुए.
कमेटी के सदस्य- अनिल घनवट, डॉ. अशोक गुलाटी और डॉ. प्रमोद जोशी ने तीनों नए कृषि कानूनों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किसान नेताओं से उनकी राय मांगी. इस दौरान किसान संगठनों की तरफ से इस पर बेबाकी से अपनी राय दी गई और इसको लागू करने में बेहतरी को लेकर सुझाव दिए.
उधर, राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार की तरफ से दिए गए उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें डेढ साल तक इस कानून को निलंबत कर कमेटी बनाने की सिफारिश की गई थी. किसान संगठनों ने एक बार फिर से तीनों कृषि कानूनों की वापसी की अपनी मांग दोहराई.
गौरतलब है कि दिल्ली और इसकी सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हजारों की संख्या में किसानों का गुरुवार को 57वां दिन है. अब तक सरकार के साथ 10 दौर की वार्ता हो चुकी है. ग्यारहवें दौर की वार्ता शुक्रवार को होने जा रही है. इधर, किसान संगठनों की तरफ से दबाव बढ़ाने के लिए यह चेतावनी दी गई है कि वे 26 जनवरी को लाल किला से इंडिया गेट ट्रैक्टर रैली निकालेंगे.
किसान संगठनों की मांग है कि सरकार तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाए. किसानों को डर है कि सरकार इन कानूनों के जरिए उन्हें उद्योगपतियों को भरोसे छोड़ देगी. जबकि, सरकार का कहना है कि इन नए कृषि कानूनों के जरिए निवेश के अवसर खुलेंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी.