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भारतनेट परियोजना: सरकार ने ₹19041 करोड़ की सरकारी सहायता को मंजूरी दी, गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा का विस्तार है लक्ष्य

अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, असम, कर्नाटक, केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, यूपी और पश्चिम बंगाल के गावों में ब्रॉडबैंड सेवा का विस्तार किया जाना है.

नई दिल्ली: सरकार ने 16 राज्यों के वंचित गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा नेटवर्क के विस्तार के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये भारतनेट परियोजना चलाने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी. परियोजना को व्यवहारिक बनाने के लिए सरकार ने 19,041 करोड़ रुपये की सहायता मंजूर की है. दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बैठक के बाद यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को देश के छह लाख गांवों को एक हजार दिन के भीतर ब्रांडबैंड सेवाओं से जोड़ने की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद ही योजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों को शामिल करने का फैसला लिया गया.

मंत्रिमंडल के निर्णय की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने सैद्धांतिक तौर पर सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत 16 राज्यों में भारत नेट परियोजना को लागू करने को मंजूरी दे दी. योजना पर कुल 29,430 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा. भारत सरकार इसमें 19,041 करोड़ रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करायेगी.’’

जिन 16 राज्यों के गांव़ों में ब्रॉडबैंड सेवा का विस्तार किया जाना है उनमें - केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं.

प्रसाद ने कहा कि अब तक ढाई लाख ग्राम पंचायतों में से 1.56 लाख को ब्रांडबैंड सेवाओं से जोड़ा जा चुका है. उन्होंने कहा कि पीपीपी के जरिये परियोजना को बढ़ाने का काम देश के 16 राज्यों के 3.61 गांवों में किया जायेगा.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मंत्रिमंडल ने बाकी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के बसावट वाले गांवों को भी भारत नेट के तहत लाने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी. ‘‘इन शेष राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के गावों के लिये दूरसंचार विभाग अलग से तौर तरीकों का खाका तैयार करेगा.’’

दूरसंचार मंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के उद्यमियों के साथ 30 साल का समझौता किया जायेगा और समूची परियोजना को नौ अलग अलग पैकेजों में बांटा जायेगा. प्रसाद ने कहा, ‘‘किसी भी एक कंपनी को चार पैकेज से अधिक नहीं दिये जायेंगे.’’ उन्होंने कहा कि एक पैकेज एक दूरसंचार सर्किल क्षेत्र होगा. उन्होंने कहा कि सरकार यदि परियोजना को चलाती तो 30 साल तक इस परियोजना को खड़ा करने और चलाने का खर्च करीब 95,000 करोड़ रुपये तक बैठता है. इसके मुकाबले सरकार ने परियोजना को व्यवहारिक बनाने के लिये 19,041 करोड़ रुपये की मदद इसमें देने का फैसला किया है.

किसी भी परियोजना को व्यवहारिक बनाने (वायबिलिटी गैप फंडिग) से तात्पर्य किसी परियोजना को चलाने में कंपनी को होने वाले नुकसान की भरपाई से है. किसी परियोजना में यदि कंपनी को उसपर आने वाले लागत से कम राजस्व प्राप्ति होती है तो परियोजना को व्यवहारिक बनाये रखने के लिये सरकार नुकसान की भरपाई करती है.मंत्री ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड सेवाओं की पहुंच से ई- गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा, दूर-चिकित्सा, आनलाइन शिक्षा और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा कि 19,041 करोड़ रुपये अतिरिक्त जारी करने से भारतनेट परियोजना के लिये कुल आवंटन बढ़कर 61,109 करोड़ रुपये हो जायेगा. सीतारमण ने कहा कि 31 मई 2021 की स्थिति के अनुसार 1,56,223 ग्राम पंचायतों तक पहुंच बनाने के लिये 42,068 करोड़ रुपये का पहले ही इसतेमाल किया जा चुका है.

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