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सरकार ने किसानों से कृषि कानूनों को वापस करने की मांग का विकल्प देने को कहा | बैठक की 10 बड़ी बातें
बुधवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की बैठक हुई. इस बैठक में दो मुद्दों पर सहमति बनी. बाकी दो मुद्दों पर बातचीत के लिए 4 जनवरी का दिन तय किया गया है. बुधवार को दोनों पक्षों के बीच करीब पांच घंटे तक बैठक चली.
नई दिल्ली: बुधवार को सरकार और किसानों के बीच सातवें दौर की बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से कृषि क़ानूनों को वापस करने का विकल्प देने को कहा है. सरकार ने एमएसपी और तीनों कृषि क़ानूनों पर कमेटी के गठन का प्रस्ताव दिया है. सरकार के सूत्रों का कहना है कि एमएसपी के मामले में सरकार किसानों को भवान्तर स्कीम जैसी का प्रस्ताव दे सकती है. कमेटी में इस पर विचार हो सकता है. 4 जनवरी को अगली बैठक होगी.
सातवें दौर की बैठक की 10 बड़ी बातें
- बुधवार को किसानों के आंदोलन का 35वां दिन रहा. दोपहर दो बजे के करीब सरकार और किसानों के बीच सातवें दौर की बैठक शुरू हुई. ये बैठक करीब पांच घंटे तक चली. सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रही, ऐसे में अब अगले दौर क बैठक के लिए 4 जनवरी का दिन तय किया गया है. हालांकि, दो मुद्दों पर सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गई.
- बैठक में विद्युत शुल्क पर प्रस्तावित कानूनों और पराली जलाने से संबंधित प्रावधानों को स्थगित रखने पर सहमति जताई गई. लेकिन किसान संगठनों के नेता पांच घंटे से अधिक समय तक चली बैठ में नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े रहे.
- बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद 50 प्रतिशत समाधान हो गया है और शेष दो मुद्दों पर चार जनवरी को चर्चा होगी. तोमर ने कहा, ‘‘तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर चर्चा जारी है और 4 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में यह जारी रहेगी.’’
- नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने विज्ञान भवन में हुई बैठक में शामिल हुए. इस बैठक में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
- बैठक के दौरान हुई लंच ब्रेक में मंत्रियों ने किसानों का खाना खाया. किसान संगठनों के नेताओं ने अपने लिए बाहर से खाना मंगवाया था. इससे पहले भी जब किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत हुई थी तब किसानों ने सरकार की तरफ से दिया गया खाना खाने से इनकार कर दिया था.
- लंच ब्रेक के कुछ देर बाद चाय के लिए ब्रेक हुआ. इस दौरान किसानों ने सरकार की तरफ से पेश की गई चाय को स्वीकार किया. वहीं मंत्रियों ने किसानों की चाय पी.
- पंजाब किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रुल्दू सिंह मनसा ने कहा कि सरकार एमएसपी खरीद पर कानूनी समर्थन देने को तैयार नहीं है और इसकी जगह उसने एमएसपी के उचित क्रियान्वयन पर समिति गठित करने की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक को वापस लेने और पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के प्रावधान को हटाने के लिए अध्यादेश में संशोधन करने की पेशकश की है.
- भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि सरकार प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से संबंधित अध्यादेश को क्रियान्वित न करने पर सहमत हुई है. उन्होंने कहा कि हम कुछ तो संतुष्ट है. दो मांगों को मान लिया गया है. अगली बैठक में हम एमएसपी और तीन कानूनों को लेकर सरकार से बात करेंगे. कल की ट्रैक्टर रैली को हमने स्थगित कर दिया है, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा.
- बुधवार की बैठक से पहले वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश, जो खुद पंजाब से सांसद हैं, ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह निर्णायक बैठक होगी और सरकार चाहती है कि प्रदर्शनकारी किसान नए साल का जश्न मनाने के लिए अपने घरों को लौट जाएं. इससे पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने भी कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि 2020 के समाप्त होने से पहले गतिरोध का समाधान निकल आएगा.
- कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं. सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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