BBC Documentary Row: गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डाक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड शेयर करने वाले कई YouTube वीडियो को ब्लॉक कर दिया गया है. न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शनिवार (21 जनवरी) को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार, इस डाक्यूमेंट्री का एपिसोड शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो को ब्लॉक किया गया. साथ ही केंद्र ने ट्विटर (Twitter) को संबंधित यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 से अधिक ट्वीट्स को ब्लॉक करने का भी निर्देश दिया है.


सूचना और प्रसारण सचिव की ओर से शुक्रवार को IT नियम, 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करते हुए कथित तौर पर निर्देश जारी किए जाने के बाद यूट्यूब और ट्विटर दोनों ने सरकार के साथ अनुपालन किया. गौरतलब है कि बीबीसी ने ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से दो भाग में एक नई डाक्यूमेंट्री सीरीज बनाई है. यह सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों पर आधारित है जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. 


सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर नाराजगी जताई


सूत्रों ने कहा कि, बीबीसी की ओर से इस डाक्यूमेंट्री सीरीज को भारत में उपलब्ध नहीं कराया गया था, लेकिन कुछ YouTube चैनलों ने भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए इसे अपलोड किया है. इससे पहले गुरुवार को भारत ने इस विवादास्पद बीबीसी डाक्यूमेंट्री सीरीज की निंदा की थी. सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर नाराजगी जताई और इसे चुनिंदा प्लेटफार्मों से हटा दिया गया.


यूट्यूब-ट्विटर को दिया ये निर्देश


सूत्रों ने बताया कि यूट्यूब को यह भी निर्देश दिया गया है कि अगर वीडियो को फिर से उसके प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाता है तो उसे ब्लॉक कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ट्विटर को अन्य प्लेटफॉर्म पर वीडियो के लिंक वाले ट्वीट्स की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए भी निर्देशित किया गया है.


यह निर्णय कई मंत्रालयों के शीर्ष सरकारी अधिकारियों की ओर से डाक्यूमेंट्री की जांच करने के बाद किया गया और पाया गया कि यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार और विश्वसनीयता पर आक्षेप लगाने और विभिन्न भारतीय समुदायों के बीच विभाजन बोने का प्रयास है. 


भारत ने क्या कहा?


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित बीबीसी की डाक्यूमेंट्री सीरीज पर उठे विवाद के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को इसे ‘दुष्प्रचार का एक हिस्सा’ करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया था और कहा कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि यह एक गलत आख्यान को आगे बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार का एक हिस्सा है. बागची ने कहा था कि यह हमें इस कवायद के उद्देश्य और इसके पीछे के एजेंडा के बारे में सोचने पर मजबूर करता है. उन्होंने कहा कि स्पष्ट तौर पर वह ऐसे प्रयासों को महत्व नहीं देना चाहते. 


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