सुप्रीम कोर्ट ने आरजेडी नेता शरद यादव की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. शरद दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. 15 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें 15 दिन में बंगला खाली करने का आदेश दिया था.
जेडीयू से सांसद चुने गए शरद यादव को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए 2017 में ही राज्यसभा सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था. तब से अब तक शरद यादव हाई कोर्ट के एक अंतरिम आदेश के सहारे केंद्रीय मंत्रियों को मिलने वाले बंगले 7, तुगलक रोड में जमे हैं. हाई कोर्ट ने अब वह आदेश वापस ले लिया है.
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शरद ने दलील दी है कि राज्यसभा से बाहर किए जाने के खिलाफ उनकी याचिका अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है. इस पर 25 अप्रैल को सुनवाई है. उनका कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है. तब तक उन्हें आवास से नहीं निकाला जाना चाहिए. शरद की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उनके खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया. सिब्बल ने कहा, “उनकी तबीयत बहुत खराब है. हर दूसरे दिन उनकी डायलिसिस होती है. कोविड के चलते 22 दिन वेंटिलेटर पर भी रहना पड़ा था.''
याचिका का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल संजय जैन ने कहा, "शरद यादव किसी तरह सरकारी बंगले पर कब्ज़ा बनाए रखने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं. बंगले में बने रहने के लिए ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से आरजेडी की सदस्यता लेने का कार्यक्रम लटका रखा था. हाई कोर्ट का आदेश आते ही तुरंत अपने संगठन का आरजेडी में विलय कर लिया. केंद्रीय मंत्रियों को आवास देने में समस्या आ रही है. यह बंगला मंत्री पशुपति नाथ पारस को आवंटित किया गया है. लेकिन शरद यादव इसे खाली ही नहीं कर रहे."
इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की बेंच ने कहा कि शरद यादव ने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया है. कोर्ट सिर्फ इसी पहलू को मानवीय आधार पर देखेगा. केंद्र के वकील इस पर निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएं. सुनवाई गुरुवार, 31 मार्च को होगी. जजों ने शरद के वकील कपिल सिब्बल से यह भी बताने को कहा कि वह किस तारीख को आवास खाली करेंगे?
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