(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Masterstroke: सरकार का दावा-अलग हैं NPR और NRC, पर नहीं दे पा रही इन सवालों के जवाब
NPR में कोई भी कागज या सबूत नहीं लिया जाएगा वहीं NPR में कोई भी बायोमेट्रिक भी नहीं लिया जाएगा. NPR का पहला उद्देश्य है सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे. देश में रहने वाले हर व्यक्ति की पहचान की जा सके. देश की सुरक्षा में सुधार किया जा सके.
नई दिल्लीः पहले सिटीजनशिप अमेंडमेंड एक्ट यानी CAA, फिर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स यानी NRC और अब NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर.अपने देश के हर व्यक्ति को ध्यान में रखकर हर सरकार योजनाएं बनाती हैं, लेकिन सरकार को देशवासियों का डेटा कहां से मिलता है ? सरकार को ये कैसे पता चलता है कि उसके देश में कितने गरीब हैं, कितने ग्रामीण हैं, कितने किसान हैं, कितने लोगों के पास गाड़ी है, लोग कितने पढ़े लिखे हैं ? इसके लिए जनगणना होती है और जनगणना का ही एक हिस्सा है NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर. अब NPR का नाम NRC से थोड़ा मिलता जुलता जरूर है, लेकिन इसका NRC से कोई लेना-देना नहीं है...ये दावा सरकार कर रही है. NRC और NPR पर नेताओं से लेकर विपक्ष तक पूरा देश कन्फ्यूज है. गृहमंत्री अमित शाह ने भी देश के सामने आकर इस कन्फ्यूजन को दूर करने की कोशिश की है.
NPR से पहले जनगणना को समझें हालांकि अब नया कन्फ्यूजन NPR को लेकर शुरू हुआ है. NPR से पहले जनगणना को समझना होगा क्योंकि NPR जनगणना का ही एक हिस्सा है. सरकार ने ये ऐलान कर दिया है कि अगले साल से जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. कैबिनेट की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अब आठवीं यानी कुल मिलाकर के 16वीं जनगणना होने जा रही है. 2020अप्रैल से सितंबर तक ये काम चलेगा. लाखों लोग शामिल होंगे, लोग घर घर जाएंगे और फरवरी 2021 में हेड काउंट होगा.
तकनीक का इस्तेमाल करते हुए प्रक्रिया आसान बनाई गई है. हर बार जनगणना का फॉर्म आता है, तो फॉर्म भरने में घंटा डेढ़ घंटा लगता है. अब इसका एप तैयार किया है, एप पर जो आप भरोगे वो मंजूर होगा. जनगणना हर दस साल में होती है. अंग्रेजों के जमाने से होती आई है. पिछली बार 2011 में हुई थी, इसलिए इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है. ये एक सामान्य प्रक्रिया है.
अब NPR को समझें. NPR की फुल फॉर्म होती है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर. हिंदी में मतलब हुआ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर. 2010 में कांग्रेस की सरकार के दौरान देश में NPR हो चुका है. इसके तहत भारत में रहने वाले हर एक व्यक्ति की गणना होगी. 6 महीने या ज्यादा समय से इलाके में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. NPR में कोई भी कागज या सबूत नहीं लिया जाएगा वहीं NPR में कोई भी बायोमेट्रिक भी नहीं लिया जाएगा.
NPR का उद्देश्य क्या है? इसकी जरूरत क्या है? NPR का पहला उद्देश्य है सरकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे. देश में रहने वाले हर व्यक्ति की पहचान की जा सके. देश की सुरक्षा में सुधार किया जा सके.
NPR में क्या क्या बताना होगा? NPR में नाम, परिवार के मुखिया से रिश्ता, माता-पिता का नाम, पति/पत्नी का नाम, लिंग, जन्मतिथि, वैवाहिक स्थिति, राष्ट्रीयता, वर्तमान पता, कब से रह रहे हैं? स्थायी पता, व्यवसाय/कामकाज और शिक्षा के बारे में बताना होगा.
दरअसल ये प्रश्न उठ रहे हैं कि यही सवाल तो जनगणना के दौरान भी पूछे जाते हैं, तो फिर NPR इससे अलग कैसे है? यही सवाल आज केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी पूछा गया, तो उन्होंने भी ये बात स्वीकार की कि दोनों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत की आबादी 130 करोड़ है या 140 करोड़ है क्या है, ये उससे ही पता चल पाएगा. ये सामान्यल प्रोसेस है.
NPR और NRC कैसे हैं अलग-प्रकाश जावड़ेकर ने क्या कहा NPR पॉपुलेशन रजिस्टर है, NRC सिटिजनशिप रजिस्टर है. जनगणना में डिफरेंस होता है. जनगणना 16वीं बार हो रही है. बहुत थोड़ा फर्क है, उसमें बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. 2010 में शुरु हुआ, जो 2020 में पूरा होगा. और सेंसस 2021 में होगा. यानी ये जवाब नहीं मिला कि जनगणना और NPR के उद्देश्य अलग अलग कैसे हैं?
NPR और NRC को एक बताकर भ्रम कैसे फैल रहा है
इसके लिए आपको 2012 की एक आर्काइव फाइल देखनी होगी. इसमें सबसे ऊपर लिखा हुआ है, National Population Register: My Identity My Pride. आगे इसके बारे में लिखा है. नागरिकता कानून 1955 के अनुच्छेद 14A में 2004 के संशोधन के तहत, देश के हर नागरिक के लिए नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटीजन यानी NRIC में रजिस्टर करवाना जरूरी है. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का बनना NRIC की तैयारियों की तरफ पहला कदम है. इस तरह से इक्कठा हुए निवासियों के डेटा से नागरिकता की जांच पड़ताल के बाद नागरिकों को अलग किया जाएगा. इसलिए हर निवासी के लिए NPR में रजिस्टर करवाना आवश्यक है. ये 2012 का आर्काइवल डॉक्यूमेंट है लेकिन अब जब सरकार ने नागरिकता कानून के बाद NPR का जिक्र किया है, तो फिर हंगामा तो होगा ही और आरोप भी लगेंगे.
विपक्षी दलों के मुताबिक 2003 में सिटीजनशिप में जो अमेंडमेंट हुई थी, उसके बाद NPR की व्यवस्था हुई थी, जो सेंसस का हिस्सा है. NPR सिर्फ जनगणना के लिए किया जाता है. हमारी नीयत और नीति स्पष्ट थी. इनके यहां गृहमंत्री संसद में खड़े होकर एनआरसी एनआरसी करते हैं. इसके जवाब में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यूपीए ने जो किया, 2010 में हम वो 2020 में कर रहे हैं, क्योंकि वो 10 साल में करना है. सभी राज्यों ने नोटिफिकेशन किया है, ट्रेनिंग चल रही है.
असदुद्दीन ओवैसी ने भी NPR और NRC को आपस में जोड़ दिया है. ओवैसी ने ये संकेत दे दिए हैं कि आने वाले वक्त में उनका विरोध NPR को लेकर होने वाला है. लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ओवैसी साहब तो हमारे विरोध में ही बोलते हैं. मैं उन्हें आश्वस्त करता हूं कि ये अलग प्रक्रिया है. अब जब सरकार ने साफ कर दिया है कि NRC में NPR के डेटा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. सरकार ने बताया है कि NPR पर 3941 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसलिए सवाल ये है कि ये प्रक्रिया जनगणना के अलग क्यों की जा रही है, जब दोनों का ही उद्देश्य एक है.