नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज बड़ा फैसला लेते हुए केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीसीआई) के 15 भ्रष्ट अधिकारियों को रिटायरमेंट देकर हटा दिया. ये सभी अधिकारी प्रिंसिपल कमिशनर, कमिशनर और डिप्टी कमिशनर स्तर के हैं. इन अधिकारियों को अर्टिकल 56(j) के तहत रिटायरमेंट देकर हटाया गया है. इससे पहले सरकार ने वित्त विभाग के भ्रष्टाचार और अन्य तरह के आरोपों का सामना कर रहे 12 अधिकारियों को इसी तरह से बाहर का रास्ता दिखाया था.
सरकार के इस कदम का विरोध होना भी शुरू हो गया है. आईआरएस एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अनूप श्रीवास्तव ने राजस्व सचिव पर व्यक्तिगत प्रतिशोध का आरोप लगाया है. अनूप श्रीवास्तव ने कहा, '' चीफ कमिशनर पद पर मेरे प्रमोशन की फाइल सतर्कता मंजूरी के लिए यूपीएससी के पास गई थी. इसके रिव्यू के लिए यूपीएससी ने 20 दिसंबर 2018 की तारीख तय की थी. लेकिन राजस्व सचिव ने 19 दिसंबर 2018 को मेरी फाइल वापस मंगवा ली. यह साफ तौर पर व्यक्तिगत प्रतिशोध का मामला है.''
उन्होंने कहा, ''हमारे बोर्ड में कोई दम नहीं है इसलिए राजस्व सचिव की ओर से 56(J) को लेकर बनाए गए दबाव को नहीं झेल पाया और अपने हितों में उसके आगे घुटने टेक दिए हैं. वे सेवा की सुरक्षा कैसे करेंगे यह एक बड़ा सवालिया निशान है.''
वहीं सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हटाए गए 15 अधिकारियों में से 11 के खिलाफ सीबीआई जांच जारी है. दो अन्य पर राजस्व विभाग द्वारा मामले दर्ज हैं. इनमें ज्यादातर अधिकारी सीनियर हैं और कमिशनर रैंक के हैं.
नियम 56 क्या कहता है?
नियम 56 के मुताबिक जिन अधिकारियों की उम्र 50 से 55 साल के बीच है और इसके साथ ही वे अपने सेवा कार्यकाल का तीस साल पूरा कर चुके हैं तो उन्हें अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है. इस नियम के इस्तेमाल के पीछे सरकार का मकसद सुस्त और छवि खराब करने वाले अधिकारियों को हटाना होता है. दरसअल अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने वाला यह नियम बहुत पहले से मौजूद है लेकिन इसका इस्तेमाल दूसरी बार किया गया है. हाालंकि, रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आने वाले समय में कुछ और अधिकारियों पर नियम 56 का डंडा चल सकता है.