नई दिल्ली: मोदी सरकार ने आज बड़ा फैसला करते हुए सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी. मोदी सरकार मंगलवार को इस संबंध में संसद में संविधान संशोधन बिल लाएगी. सूत्रों के मुताबिक, इस बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार संसद का सत्र एक से दो दिन बढ़ा सकती है. इसके लिए सरकार में विचार हो रहा है और विपक्ष से भी बातचीत हो रही है.


10 फीसदी आरक्षण के फैसले के बारे में जानें


ये आरक्षण मौजूदा 49.5 फीसदी आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा. इसी के लिए संविधान में संशोधन करना जरूरी होगा. इसके लिए संविधान की धारा 15 और 16 में बदलाव करना होगा. धारा 15 के तहत शैक्षणिक संस्थानों और धारा 16 के तहत रोजगार में आरक्षण मिलता है. अगर संसद से ये विधेयक पास हो जाता है तो इसका लाभ ब्राह्मण, ठाकुर, भूमिहार, कायस्थ, बनिया, जाट और गुर्जर आदि को मिलेगा. हालांकि आठ लाख सालाना आय  और पांच हेक्टेयर तक ज़मीन वाले गरीब ही इसके दायरे में आएंगे.


IN DEPTH: संसद में अपने दम पर संविधान संशोधन विधेयक पास नहीं करा पाएगी मोदी सरकार


अभी क्या है देश में आरक्षण की व्यवस्था?


आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिलकुल साफ है. भारत में अभी 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, कोई भी राज्य 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकता. (अपवाद, तमिलनाडु में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण है) आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था के तहत देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है.


भारत में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था ही नहीं है. इसीलिए अब तक जिन-जिन राज्यों में इस आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.


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