नई दिल्लीः कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारत को विदेशों से मेडिकल उपकरणों व अन्य जरुरी दवाओं की जो मदद मिल रही है, क्या केंद्र सरकार उसकी बंदरबांट कर रही है? विपक्षी दलों का आरोप है कि इसके बंटवारे में मोदी सरकार गैर बीजेपी शासित राज्यों के साथ सौतेला बर्ताव कर रही है. ऐसे में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने केंद्र को महत्वपूर्ण सलाह दी है, जिसपर अगर सरकार अमल करे तो यह सारा बवाल ही खत्म हो जाये. उनका कहना है कि " चूंकि विदेशों से मिलने वाली मदद सीमित है, लिहाजा संसाधनों का किफायत से उपयोग हो और जिन राज्यों में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा हैं,उन्हें इसमें प्राथमिकता दी जाए."


विदेशों से आ रही मेडिकल सप्लाई के प्रबंध और राज्यों को किये जा रहे उसके बंटवारे को लेकर अमिताभ कांत ने कुछ बातें साफ की हैं.उनके मुताबिक फिलहाल तीन तरह से ये सहायता मिल रही है- एक तो संबंधित देश की सरकार से सीधे भारत सरकार को,दूसरा निजी क्षेत्र के जरिये सरकार को और तीसरा राज्यों व एनजीओ को सीधे दान के रूप में.केंद्र को मिल रही विदेशी मदद विदेश मंत्रालय के जरिये इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी तक पहुंचती है और फिर स्वास्थ्य मंत्रालय के जरिये राज्यों को इसका बंटवारा किया जा रहा है.


हालांकि उनका दावा है कि किस राज्य में मामले ज्यादा हैं और कहां संसाधनों की कमी है,ऐसे तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बंटवारे में स्थापित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और इसमें पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है.हम ये भी देख रहे हैं कि कौन से राज्य या उनके कौन से शहर ऐसे हैं,जो मेडिकल हब हैं और जहां पड़ोसी इलाकों से कोरोना मरीज आकर दाखिल हो रहे हैं.


वैसे अब तक विदेशी मेडिकल मदद की कुल 87 खेप भारत में आ चुकी हैं जिनमें से 64 सीधे विभिन्न देशों की सरकारों ने भेजी हैं,जबकि 23 निजी क्षेत्र से केंद्र को मिली हैं.जिस ऑक्सीजन की कमी को लेकर देश ने इतना बड़ा संकट झेला,वह फ्रांस, बहरीन और यूएई से जहाज के जरिये भारत आने के बाद ही इसकी किल्लल कुछ कम हुई.जो मेडिकल उपकरण हमें बहुतायत में मिले हैं उनमें ऑक्सीजन सिलेंडर व कंसंट्रेटर,वेंटीलेटर, ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट,रैपिड डिटेक्शन किट्स और जीवनरक्षक रेमेडीसीवीर इंजेक्शन शामिल है.


कोरोना संक्रमण के इलाज मे इस्तेमाल होने वाली अन्य कई दवाइयां भी मिली हैं.संकट की इस घड़ी में जिन देशों ने भारत की सबसे अधिक मदद की है उनमें अमेरिका,ब्रिटेन,इसरायल, जर्मनी,इटली,फ्रांस,कनाडा और यूएई शामिल हैं.


अमिताभ कांत का दावा है कि "इनमें से 95 फीसदी चीजें जरुरतमंद राज्यों को भेज दी गईं हैं और बाकी भेजी जा रही हैं."उनके मुताबिक मसलन,देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश को बाकी चीजों के अलावा 400 वेंटीलेटर, रेमेडीसीवीर इंजेक्शन की 26 हजार शीशियां और 10 हजार रैपिड टेस्ट किट्स मुहैया कराई गई हैं.जबकि महाराष्ट्र को तीन सौ वेंटिलेटर व रेमेडीसीवीर की 55 हजार खुराक दी गई है.


हालांकि कांत इस आरोप को भी नकारते हैं कि कस्टम क्लेरेन्स की वजह से राज्यों को विदेशी मदद मिलने में देरी हो रही है.उनके मुताबिक किसी एक भी कन्साइनमेंट को इस कारण या किसी और वजह से भी नहीं रोका गया है.गत 9 मई तक जितनी भी चीज़ें आईं, उन्हें अगले दिन ही राज्यों को रवाना कर दिया गया.इसी तरह 9 से 11 मई के बीच हमें दक्षिण कोरिया,यूएई, कुवैत,यूके,अमेरिका,इजिप्ट,इसरायल, नीदरलैंड से भी काफी मेडिकल मदद मिली है,जिसका तुरंत ही बंटवारा कर आगे भेज दिया गया. 


महाराष्ट्र के मंत्री ने पूछा- फ्रांस के दूतावास ने मॉडर्ना की वैक्सीन खरीदी, ये कैसे हुआ?