SC On De-monetisation: 2016 में हुई नोटबंदी का केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पुरजोर बचाव किया है. कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने बताया है कि यह टैक्स चोरी रोकने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए लागू की गई सोची-समझी योजना थी. नकली नोटों की समस्या से निपटना और आतंकवादियों की फंडिंग को रोकना भी इसका मकसद था. 


सरकार ने कहा कि इसकी सिफारिश रिजर्व बैंक ने की थी. इसे काफी चर्चा और तैयारी के बाद लागू किया गया था. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को वापस लेने का की घोषणा की थी.  इसके बाद लोगों को कुछ समय तक करेंसी नोट की कमी का सामना करना पड़ा था. 


नोटबंदी से क्या परेशानी हुई थी?
पुराने नोटों को बदलवाने के लिए बैंकों के बाहर लंबी कतारें भी देखी गई थीं. सरकार के इस कदम को 30 से अधिक याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.  इन याचिकाओं में यह कहा गया है कि बिना तैयारी के लागू हुई इस योजना के चलते लोगों को बहुत तकलीफ उठानी पड़ी.  यह योजना न सिर्फ नियम-कानूनों को ताक पर रखकर लागू की गई, बल्कि इससे लोगों के संवैधानिक अधिकारों का भी हनन हुआ है. 


'नीतिगत फैसला, कोर्ट को नहीं करनी चाहिए सुनवाई'
इस मामले की सुनवाई कर रही हो 5 जजों की संविधान पीठ ने सरकार से यह पूछा था कि नोटबंदी को क्यों लागू किया गया? 500 और 1000 रुपए के नोटों को वापस लेने का फैसला लेने से पहले किस तरह प्रक्रिया अपनाई गई? जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है यह फैसला आर्थिक और मौद्रिक नीति का हिस्सा है. इसकी समीक्षा कोर्ट में नहीं की जानी चाहिए. 


'नियमों का पालन किये बिना लागू की गई नोटबंदी'
केंद्र सरकार ने यह बताया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 के तहत रिजर्व बैंक और सरकार के पास किसी करेंसी नोट को वापस लेने का फैसला लेने का अधिकार है.  सरकार ने यह भी बताया है कि नोटबंदी के कुछ समय के बाद संसद ने भी स्पेसिफाइड बैंक नोट्स (सेसेशन ऑफ लायबिलिटी) एक्ट, 2017 पारित कर इसको मंजूरी दी.  ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि नियमों का पालन किए बिना नोटबंदी को लागू किया गया था. 


सरकार ने यह दावा भी किया है कि नोटबंदी का फैसला उसका अकेले का नहीं था. इसकी सिफारिश रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने की थी. इस योजना को बहुत सोच विचार कर लागू किया गया था और उससे पहले काफी तैयारी की गई थी. पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होनी है.


रेलवे के 80 हज़ार कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, लेवल 6 कर्मचारियों का प्रमोशन होगा आसान, बढ़ेगी सैलरी