नई दिल्ली: राफेल पर कांग्रेस बीजेपी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. बीजेपी ने कांग्रेस की जेपीसी की मांग को ठुकरा दिया है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस दुश्मन देशों को गोपनीय जानकारी साझा करना चाहती है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि HAL को दस साल में यूपीए सरकार ने 10 हज़ार करोड़ हर साल दिए. जबकि हमने साढ़े चार साल में ही 22 हज़ार 500 करोड़ प्रतिवर्ष दिए है. HAL हमारी ताकत है, इसलिए जेपीसी जांच का सवाल ही नहीं है.


सरकार जेपीसी से डर क्यों रही है: कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार बीजेपी पर राफेल मामले में जेपीसी गठित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि जेपीसी में सरकार का बहुमत है, वो डर क्यों रहे हैं? सार्वजनिक तौर पर सारी फाइल नहीं बताई जा सकती लेकिन जेपीसी में तो बताई जा सकती हैं. कांग्रस ने इस मामले को कैग और सीवीसी के सामने उठाया है, कांग्रेस का कहना है कि सीवीसी और कैग इस पूरे मामले की जांच करें. इसके साथ ही कांग्रेस ने राफेल डील पर रोक लगाने की मांग भी की है.


राफेल में बीजेपी ने रॉबर्ट वाड्रा को खींचा
बीजेपी ने इस पूरे विवाद में राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वॉड्रा का नाम भी खींच लिया है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि यूपीए सरकार रॉबर्ट वाड्रा और आर्म्स डीलर संजय भंडारी की कंपनी को बिचौलिये के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती थी.


राहुल गांधी के आरोपों पर जेटली की सफाई
कांग्रेस के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा, ''फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट और रिलायंस के बीच क्या हुआ उससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है. दोनों कम्पनियों के बीच 12 फरवरी 2012 को एक समझौता हुआ था और पीटीआई ने इसकी ख़बर भी दी थी.''


राहुल गांधी पर हमला करते हुए जेटली बोले, ''30 अगस्त को ट्वीट करते हैं कि फ्रांस के अंदर कुछ बम चलने वाले हैं. ये उनको (राहुल गांधी) कैसे मालूम कि ऐसा बयान आने वाला है? ये जो जुगल बंदी है इस तरह की, मेरे पास कुछ सबूत नहीं है लेकिन प्रश्न खड़ा होता है.''


राफेल विवाद है क्या?
यूपीए सरकार ने 600 करोड़ रुपये में एक राफेल का सौदा किया था. अब बताया जा रहा है कि सरकार को एक राफेल करीब 1600 करोड़ रुपये का पड़ेगा. राफेल डील में 50 प्रतिशत ऑफसेट क्लॉज यानि प्रावधान है. यानि इस सौदे की पचास प्रतिशत कीमत को रफाल बनाने वाली कंपनी, दसॉल्ट को भारत में ही रक्षा और एयरो-स्पेस इंडस्ट्री में लगाना होगा.


इसके लिए दसॉल्ट कंपनी ने भारत की रिलायंस इंडस्ट्री से करार किया है. अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस इंडस्ट्री ने जो कंपनी बनाई है, उसके साथ मिलकर दसॉल्ट कंपनी भारत में ज्वाइंट वेंचर कर रही है. ये दोनों मिलकर भारत में नागरिक विमानों के स्पेयर पार्ट्स बनाने जा रही हैं.


रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि "36 राफेल आईजीए (इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट) में ऑफसेट्स की मात्रा 50 प्रतिशत है, जिसमें योग्य उत्पादों और सेवाओं के निर्माण या रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में निवेश शामिल हैं.''