नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि वह अन्य सरकारी विभागों के साथ मतदाता सूची और फोटो परिचय पत्र साझा करने के 2008 के अपने दिशा-निर्देशों से ‘‘किसी भी तरह’’ नहीं भटका है. आयोग ने कहा कि वह ‘‘उपाख्यानात्मक खबरों के मद्देनजर स्पष्टीकरण जारी कर रहा है, जो अनुभवजन्य तथ्यों पर आधारित नहीं हैं.’’


निर्वाचन आयोग ने उन ‘‘खबरों’’ का विवरण नहीं दिया जिनकी वजह से उसे जवाब देना पड़ा. हालांकि, यह जवाब सोशल मीडिया पर ऐसे कुछ पोस्ट सामने के आने के बाद आया है जिनमें आरोप लगाया गया है कि इस साल के शुरू में दिल्ली में हुई हिंसा की जांच के लिए दिल्ली पुलिस को मतदाता सूची का ब्योरा साझा करने को लेकर चुनाव आयोग ने खुद अपने नियमों का ‘‘उल्लंघन’’ किया है.


आयोग ने कहा कि वह 2008 के मूल दिशा-निर्देशों और 2020 के स्पष्टता संबंधी आदेश से ‘‘किसी भी तरह नहीं भटका है.’’ निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2008 में विभिन्न सरकारी विभागों के साथ मतदाता सूचियों और मतदाता परिचय पत्रों संबंधी जानकारी साझा करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे.


इसने इस साल 16 जुलाई को मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को आगे के निर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग भी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के उपलब्ध कराई गई. मतदाता सूची का डेटाबेस किसी अन्य संगठन या एजेंसी को साझा नहीं करेंगे.


बयान में कहा गया कि यह उल्लेख किए जाने की भी आवश्यकता है कि जहां तक एजेंसियों के किसी आपराधिक जांच की बात हो तो यह संबंधित एजेंसियों के खुद के कानून, नियमों और दिशा-निर्देशों के तहत आता है. जिन्हें अदालतों में किसी भी मामले में चुनौती दी जा सकती है.


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