नई दिल्ली: सरकार ने व्हाट्सएप कॉल, मैसेज और अन्य सोशल मीडिया संदेशों को इंटरसेप्ट करने की क्षमता से इनकार नहीं किया है. संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय न साफ किया है कि निर्धारित सुरक्षा एजेंसियां तय कनूनी प्रक्रिया के तहत ज़रूरत पड़ने पर किसी भी कम्प्यूटर जनित अथवा उसमें सुरक्षित सन्देश को इंटरसेप्ट, मॉनिटर या डिक्रिप्ट कर सकती है.


लोकसभा में पूर्व संचार मंत्री दयानिधि मारन के सवाल पर जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 और भारतीय टेलीग्राफ एक्ट के तहत राज्य सरकार व केंद्र सरकार को यह अधिकार हासिल है कि वो देश की सुरक्षा, सम्प्रभुता, राष्ट्र हित, लोक सुरक्षा व मियर देशों के सम्बंध से जुड़े मामलों में किसी भी कम्प्यूटर से बनाए गए, भेजे गए या उसमें सुरक्षित संदेश की निगरानी कर सकती है. इसके अलावा सरकारें किसी आपराधिक मामले की जांच और उकसावे की कार्रवाई से जुड़े मामले में भी सरकार संदेशों को मॉनिटर, इंटरसेप्ट या डिक्रिप्ट कर सकती है. इंटरसेप्शन के इस अधिकार का इस्तेमाल निर्धारित नियम-कानून व तय प्रक्रिया के आधार पर होता है. ऐसे प्रत्येक मामले को केंद्र में केंद्रीय गृह सचिव और सूबे में राज्य के गृह सचिव इसकी मंजूरी देंगे.


गृह मंत्रालय के मुताबिक केवल 10 एजेंसियों को ही इस तरह की इजाजत हासिल है. इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, रेवेन्यू इंटेलिजेंस निदेशालय, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सेक्रेटेरियट, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली पुलिस आयुक्त आदि शामिल है. सेना के सिग्नल कोर को यह अनुमति केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों व असम के लिए दी गई है. गृह राज्यमंत्री ने साफ किया कि किसी भी एजेंसी को अबाध इंटरसेप्शन की इजाजत नहीं दी गई है और हर मामले की समीक्षा की भी प्रक्रिया सुनिश्चित है. केंद्र में कैबिनेट सचिव और राज्य में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इन मामलों की समीक्षा करती हैं. सरकार ने इंटरसेप्शन, मॉनिटरिंग और डिक्रिप्शन के दौरान एहतियात के लिए भारतीय टेलीग्राफ नियमावली के नियम 419A तथा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स 2009 के प्रावधानों का भी हवाला दिया.


यूपीए सरकार में दूर संचार मंत्री रहे दयानिधि मारन ने लोकसभा प्रश्न में सरकार से पूछा था कि क्या सरकार देश में व्हाट्सएप कॉल व संदेशों की टैपिंग करती है? यदि ऐसा है तो उसकी जानकारी दी जाए. इसके अलावा उन्होंने पूछा था कि व्हाट्सएप कॉल व संदेशों की टैपिंग से पहले किस तरह का प्रोटोकॉल अपनाया जाता है और क्या यह मोबाइल/टेलीफोन टैपिंग जैसा ही है? मारन ने सरकार से व्हाट्सएप कॉल व सन्देश टैपिंग में इजराइली पैग़सिस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल पर भी सवाल किया था. इतना ही नहीं पूर्व संचासर मंत्री ने फेसबुक मैसेंजर, गूगल और वाइबर समेत एमी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की निगरानी किए जाने पर भी सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था.


बहरहाल सरकार के जवाब से इतना स्पष्ट है कि अपने उपभोक्ताओं को संदेशों व कॉल्स में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की सुविधा का दावा करने वाली व्हाट्सएप कंपनी का एप्लिकेशन सरकार की सेंध से सुरक्षित नहीं है. महत्वपूर्ण है कि बीते दिनों व्हाट्सएप ने अमेरिका में एक हलफनामा दाखिल कर इस बात की शिकायत की थी कि इजराइली सॉफ्टवेयर पैग़सिस का इस्तेमाल किया जा रहा है व्हाट्सएप संदेशों की टैपिंग के लिए. हालांकि कम्पनी के मुताबिक इसकी कमज़ोरी पकड़ में आते ही उसने भारत समेत कई मुल्कों की सरकारों और प्रभावित उपभोक्ताओं को इसकी सूचना दी थी.


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