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मुखौटा कंपनियों के 1.06 लाख निदेशक अयोग्य घोषित
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, 1 लाख 6 हजार 578 निदेशकों को अयोग्य घोषिथ किया गया है. अब ये लोग किसी भी कंपनी में निदेशक नहीं बन सकेंगे. साथ ही जिन कंपनियों में वो निदेशक हैं, वहां से उन्हें अपना पद छोड़ना होगा.
नई दिल्ली: सरकार ने मुखौटा यानी शेल कपनियों के एक लाख से भी ज्यादा निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. सरकार का ये कदम दो लाख से भी ज्यादा मुखौटा कंपनियों के नाम कंपनियों के रजिस्टर से हटाने के बाद उठाया है.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, 1 लाख 6 हजार 578 निदेशकों को अयोग्य घोषिथ किया गया है. अब ये लोग किसी भी कंपनी में निदेशक नहीं बन सकेंगे. साथ ही जिन कंपनियों में वो निदेशक हैं, वहां से उन्हें अपना पद छोड़ना होगा. इसी के साथ सरकार उन लोगों को पहचानने में लगी है जो मुखौटा कंपनियों के पीछे हैं और वास्तव रुप में उन्हें ही फायदा हुआ. ऐसी सारी कंपनियों के निदेशकों के बारे में पूरी जानकारी जांच एजेंसियों को मुहैया करायी जा रही है. कुछ मामलों में इन कंपनियों की कारगुजारियों में मदद करने वाले चाटर्ड अकाउंटेट, कंपनी सेक्रेटरी और कॉस्ट अकाउंटेट की पहचान कर ली गयी है. अब ये देखा जा रहा है कि ऐसे पेशेवरों के खिलाफ चार्टर्ड अकाउंटेंट इंस्टीट्यूट या कंपनी सेक्रेटरी इंस्टीट्यूट क्या कार्रवाई कर रही है.
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री पी पी चौधरी का मानना है कि मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई से ना केवल काले धन के खिलाफ मुहिम में ही नहीं, कारोबारी माहौल सुगम बनाने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि कंपनियों की वित्तीय स्थिति की सही तस्वीर सामने आएगी जिससे धोखाधड़ी और कर की चोरी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. दूसरी ओर गैर कानूनी गतिविधियों के लिए पैसे की उपलब्धता खत्म होगी.
बीते सप्ताह वित्त मंत्रालय ने दो लाख से भी ज्यादा मुखौटा कंपनियों के नाम कंपनियों के रजिस्टर से काटने और उनके बैंक खाते का परिचालन रोकने का ऐलान किया था. ये भी तय हुआ था कि नाम काटी गई कंपनियों के निदेशक या अद्धोहस्ताक्षरी यदि गलत तरीके से बैंक खाते से पैसा निकालने तो उन्हें 6 महीने से लेकर दस साल तक की सजा हो सकती है. यही नहीं यदि आम जनता के साथ धोखाधड़ी का आरोप साबित हुआ तो कम से कम तीन साल की सजा हो सकती है, साथ ही धोखाधड़ी मे शामिल रकम का तीन गुना तक जुर्माना लग सकता है.
बैंकिंग विभाग 5 सितम्बर को सभी बैंकों को काटी गयी कंपनियों के बैंक खातों का परिचालन रोकने की हिदायत दे चुका है. यहां ये साफ तौर पर कहा गया है कि ऐसी कंपनियों के निदेशक और अद्धोहस्ताक्षरी किसी भी सूरत में खातों का परिचालन नहीं कर सकते. फिर भी यदि पाया गया कि आदेश जारी होने के पहले ही गलत तरीके से पैसा निकाला गया या खाता खाली कर दिया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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