संसद सत्र की वजह से छुट्टियों पर फंसा पेंच, सरकारी कर्मचारी निराश
संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होकर 5 जनवरी तक चलेगा. ये वही समय है जब क्रिसमस की छुट्टियों के साथ साथ बच्चों की सर्दियों की भी छुट्टी होती हैं.
नई दिल्ली: अगर आप केंद्र सरकार सरकार के कर्मचारी हैं और दिल्ली में पदस्थापित हैं तो ये खबर आपके लिए खास है. अगर आप सर्दियों की छुट्टियों के दौरान गोवा या फिर किसी अन्य पर्यटक स्थल जाने का प्लान बना रहे हैं तो शायद प्लान कैंसिल करना पड़े.
दरअसल संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होकर 5 जनवरी तक चलेगा. ये वही समय है जब क्रिसमस की छुट्टियों के साथ साथ बच्चों की सर्दियों की भी छुट्टी होती हैं और दिल्ली के कई लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी छुट्टियां बिताने जाते हैं. आम तौर पर लोग गोवा या दक्षिण भारत की सैर पर जाते हैं लेकिन इस बार उनका मज़ा किरकिरा हो सकता है.
सरकारी गलियारों में सरकार के इस फ़ैसले को लेकर ख़ुसफ़ुसाहट शुरू भी हो गई हैं. कुछ कर्मचारियों ने इसके अलग-अलग पहलुओं के बारे में हमसे अनौपचारिक बात भी की.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में काम करने वाले एक सरकारी कर्मचारी ने बताया," मैं पिछले साल इन छुट्टियों के दौरान गोवा गया था लेकिन इस बार कैसे जा पाउंगा. छुट्टियां शायद ही मिल पाएं."
इसी तरह खाद्य मंत्रालय में काम कर रहे एक वरिष्ठ कर्मचारी ने इसका एक व्यावाहारिक पक्ष बताया. उनका कहना है कि कर्मचारी साल भर अपनी एलटीसी और सीएल बचा कर रखते हैं लेकिन अब उसका उपयोग नहीं कर पाएंगे. उनके मुताबिक़ संसद सत्र के दौरान सरकारी कार्यालयों में काम बढ़ जाता है और छुट्टियां मिलनी मुश्किल हो जाती हैं.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय में कार्यरत एक जूनियर कर्मचारी का एक अलग नज़रिया पेश किया. उन्होंने कहा,"असली मुसीबत तो बड़े पदों पर बैठे बाबुओं की आने वाली है. इस दौरान ज़्यादातर सरकारी अधिकारी दिल्ली के बाहर अपनी छुट्टियां बिताने जाते हैं लेकिन संसद सत्र के दौरान तो रोज़ाना उनकी ज़रूरत पड़ती है और इसलिए उन्हें छुट्टियां मिलनी मुश्किल हैं."
इन कर्मचारियों में से तो कइयों ने अपनी छुट्टियां प्लान भी कर रखी हैं और उसके लिए तैयारियां भी कर ली हैं. लोकसभा सचिवालय में काम करने वाले मेरे ऐसे ही एक मित्र ने अपनी हालत ग़ालिब के शब्दों में कुछ युं बयां की -
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, कि हर ख्वाहिश पर दम निकले बड़े निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले