नई दिल्ली: सरकार ने एनपीआर का नया फॉर्म तैयार कर लिया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक एनपीआर के नये डेटाबेस में आधार नंबर, पैन नंबर, मतदाता पहचान संख्या समेत लगभग 7 नए बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है. एनपीआर के तहत कोई पहचान पत्र जारी नहीं किए जाएंगे और ना ही कोई बायोमेट्रिक एकत्र किया जा रहा है. गृह मंत्रालय ने इस बारे में अंतिम रूपरेखा बना ली है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) देश के सामान्य निवासियों का एक व्यापक डाटाबेस है. इसे नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के अंतर्गत और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियमावली, 2003 में निहित प्रक्रियाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है. एनपीआर के तहत कोई पहचान पत्र जारी नहीं किए जाएंगे.
एनपीआर 2010 में जो जानकारियां मांगी गई थी उसमें शामिल था...
1- व्यक्ति का नाम,
2- मुखिया से संबंध,
3- पिता का नाम,
4- माता का नाम,
5- पति/पत्नी का नाम (यदि विवाहित),
6- लिंग,
7- जन्म तिथि,
8- वैवाहिक स्थिति,
9- जन्म का स्थान,
10- घोषित राष्ट्रीयता,
11- सामान्य निवासी का वर्तमान पता,
12- वर्तमान पते पर रहने की अवधि,
13- स्थायी निवास पता,
14- व्यवसाय/क्रियाकलाप,
15- शैक्षिक योग्यता,
16- यूआईडीएआई के माध्यम से दोहराव को रोकने और आधार नंबर बनाने के उद्देश्य हेतु 5 साल और उससे ऊपर के व्यक्तियों के लिए ओआरजीआई को आबंटित राज्यों में तीन बायोमेट्रिक वस्तुत: फोटो, 10 अंगुलियों के छाप और 02 आयरिस भी एकत्रित किए गए थे. एनपीआर 2020 में भी कई अतिरिक्त बिंदुओ को शामिल किया जा सकता है.
एनपीआर 2020 के परीक्षण-पूर्व में शामिल अतिरिक्त फील्ड
1- आधार नंबर,
2- मोबाइल नंबर,
3- पैन,
4- मतदाता पहचान संख्या,
5- ड्राइविंग लाइसेन्स,
6- पासपोर्ट नंबर (केवल भारतीय पासपोर्ट)
7- पिछले निवास स्थान, निवासियों के पिता और माता के जन्म स्थान और जन्म की तिथि
ध्यान दें - एनपीआर के दौरान कोई बायोमेट्रिक एकत्रित नहीं किया जा रहा है.
एनपीआर को 2010 में पहली बार तैयार किया गया था. इसके बाद हुए जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण बदलाव को सम्मिलित करने के लिए, इसे फिर से अपग्रेड करने की ज़रूरत है. 2015 में कुछ ही घटकों को शामिल किया गया था. एनपीआर के आंकड़ों के जरिए आम आदमी को कई योजनाओं का भी लाभ मिल सकेगा. मसलन विभिन्न जन कल्याण और लाभार्थी उन्मुख सरकारी योजनाएं जैसे कि आयुष्मान भारत, जन धन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य योजना, लोक वितरण प्रणाली (PDS) आदि परिवार आधारित हैं. इनके पारदर्शी और कुशल कार्यान्वन के लिए एनपीआर आंकड़ों का प्रयोग किया जा सकता है.
एनपीआर डाटा करने के लिए एक मोबाइल ऐप का प्रयोग किया जाएगा. सरकार का मानना है कि यह डाटा इकट्ठा करने के लिए हर घर पर सरकारी कर्मचारी भेजा जाएगा क्योंकि सभी व्यक्ति अपने आप इस डाटा को अपडेट नहीं कर पाएंगे. इसके अतिरिक्त घर-घर गणना अपने आप में यह सुनिश्चित करेगी कि पूरी जनसंख्या को शामिल कर लिया गया है. यानी सरकार किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. सरकार ने पूरी तरह से साफ किया है कि एनपीआर अपडेट करने के दौरान घर-घर गणना के समय कोई दस्तावेज़ एकत्रित नहीं किए जा रहे हैं.
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