Government on Monkeypox: विदेशों में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी के बाद, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों, बंदरगाहों और जमीनी सीमाओं पर निगरानी शुरू कर दी है. वहीं अफ्रीका से आने वाले यात्रियों में लक्षण दिखाई दिए देंगें उनके नमूने आगे की जांच के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजे जाएंगे.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएनआई को बताया कि एनआईवी, पुणे को केवल ऐसे मामलों के नमूने भेजें जाएंगे, जहां लोगों में कुछ खास लक्षण दिखें, बीमार यात्रियों के नमूने नहीं भेजें जाएंगे. एएनआई इनपुट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को यूरोप और अन्य जगहों पर ताजा स्थिति पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है. बता दें कि, भारत में मंकीपॉक्स का कोई नहीं मिला है.
इन देशों में मिले केस
इस बीच, यूरोप में 100 से अधिक मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि या संदिग्ध मामले मिलने के बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन बैठक भी बुलाई है. जर्मनी में अब तक सबसे ज्यादा केस मिले हैं. वहीं अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में केस मिलने के बाद अब यूके, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी और इटली में भी मामलों की पुष्टि की गई है. कुल मिलाकर, मंकीपॉक्स के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं.
बीमारी के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.
संक्रमण का प्रसार कैसे होता है?
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है. यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है. यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचरित हो सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह समलैंगिक या उभयलिंगी लोगों से संबंधित कई मामलों की भी जांच कर रहा है.
मंकीपॉक्स का क्या है इलाज?
सेंटर फोर डिजीज एंड कंट्रोल ने कहा है कि अब तक बीमारी की कोई विशेष दवा नहीं है और न ही मंकीपॉक्स के लिए कोई वैक्सीन विकसित की गई है. लेकिन उसे चेचक की वैक्सीन सिडोफोविर, ST-246, और वीआईजी से नियंत्रित किया जा सकता है.
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