नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने उपभोक्ता संरक्षण क़ानून के तहत ई-कॉमर्स व्यापार की निगरानी के लिए नए नियमों को अधिसूचित कर दिया है. नए नियमों में ग्राहकों की शिकायत को एक महीने के भीतर निपटाने से लेकर इन प्लेटफॉर्म पर बेचे जा रहे सामानों के बारे में सभी जानकारी दिए जाने तक का प्रावधान किया गया है. नए नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं.
नए नियमों के अस्तित्व में आने के बाद अब अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स का कारोबार करने वाली कम्पनियां भी दायरे में आ गई हैं. इन प्लेटफॉर्म पर बेचे जा रहे सामानों के बारे में पूरी जानकारी देना अनिवार्य बना दिया गया है. इसमें सबसे ज़्यादा चर्चा में रहा है निर्माता देश की जानकारी.
नए नियमों के तहत विक्रेताओं के लिए ये जानकारी देना अनिवार्य बनाया गया है कि उनका बेचा जा रहा सामान या उत्पाद किस देश में बनाया गया है या किस देश से मंगाया गया है. ये मांग काफी पहले से उठती रही थी लेकिन चीन के साथ तनातनी के बाद चीनी सामानों को लेकर चल रहे विरोध के बाद मांग और तेज़ हो गई है.
इसके अलावा अगर सामान की कोई एक्सपायरी तिथि है तो उसकी जानकारी देना भी अनिवार्य हो गया है. अगर इन जानकारियों में कोई गलती पाई जाती है तो उसकी ज़िम्मेदारी इन प्लेटफॉर्म के ज़रिए सामान बेच रहे विक्रेताओं की तय गई है. सामान के रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी और गांरटी, डिलीवरी और शिपमेंट, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीके, भुगतान के तरीकों की सुरक्षा, शुल्क वापसी संबंधित विकल्प और अन्य के बारे में सूचना देना भी अनिवार्य बना दिया गया है. इन जानकारियों से उपभोक्ता को ख़रीदारी करने से पहले उचित फ़ैसला लेने में मदद मिल सकेगी.
ई-कॉमर्स के व्यापार में लगी सभी कम्पनियों और उनके माध्यम से अपना सामान बेच रहे विक्रेताओं के लिए प्रमुखता से अपनी कंपनी के वैधानिक नाम और उसके भौगोलिक पते की जानकारी देना भी अनिवार्य बनाया गया है. साथ है, इन कंपनियों को ईमेल, लैंडलाइन और मोबाइल नंबर जैसी कस्टमर केयर और मुख्य शिकायत अधिकारी से जुड़ी जानकारियां भी वेबसाइट पर साफ-साफ देनी होगा.
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