Exclusive: ये सरकार को देखना है कि जवान को नक्सलियों के कब्जे से कैसे छुड़ाना है- CRPF डीजी कुलदीप सिंह
मंगलवार को नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा था कि सीआरपीएफ जवान उनके कब्जे में है और अगर सरकार चाहे तो किसी मध्यस्थ के माध्यम से जवान को रिहा किया जा सकता है.
नई दिल्ली: नक्सलियों के चंगुल में फंसे जवान राकेश्वर सिंह मंहास को छुड़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं. नक्सलियों द्वारा मध्यस्थता को लेकर भी सीआरपीएफ, राज्य और केंद्र सरकार से संपर्क में है. ये कहना है सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह का. एबीपी न्यूज से खास बातचीत में सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने कहा कि उन्होनें भी न्यूज चैनल्स के माध्यम से माओवादियों का वो प्रेस नोट देखा है, जिसमें उन्होंने बंधक बनाए जवान को रिलीज करने को लेकर लिखा है. उन्होनें कहा कि ये सरकार को देखना है कि किस तरह से अपहृत जवान को माओवादियों के कब्जे से छुड़ाना है.
आपको बता दें कि 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को बड़ा नुकसान हुआ था. सीआरपीएफ के सात कोबरा कमांडो सहित कुल आठ जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे. इसके अलावा छत्तीसगढ़ पुलिस के भी 15 जवानों की शहादत हुई थी. कुल 31 जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे. इसके अलावा सीआरपीएफ के घायल कोबरा कमांडो, राकेश्वर सिंह मंहास को नक्सली बंधकर बनाकर अपने साथ ले गए थे.
मंगलवार को नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा था कि सीआरपीएफ जवान उनके कब्जे में है और अगर सरकार चाहे तो किसी मध्यस्थ के माध्यम से जवान को रिहा किया जा सकता है. माओवादियों ने कबूल किया था कि इस मुठभेड़ में उनके 4 साथी मारे गए थे, जिसमें एक महिला-कैडर भी थी.
एबीपी न्यूज से बातचीत में सीआरपीएफ के महानिदेशक ने साफ तौर से कहा कि इस ऑपरेशन को फेल नहीं माना जा सकता है. किसी भी तरह की इंटेलीजेंस या फिर ऑपरेशन्स फेलियर नहीं है. क्योंकि ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों को भी बड़ा नुकसान हुआ है. एनकाउंटर के बाद नक्सली दो ट्रैक्टर भरकर अपने घायल साथियों और शवों को लेकर गए थे. उससे ऐसा लगता है कि नक्सलियों को बड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन उन्होनें ये जरूर कहा कि इतने बड़े ऑपरेशन में नुकसान होता ही है.
कुलदीप सिंह ने भरोसा दिलाया कि नक्सलियों के खिलाफ जंग जारी रहेगी. लेकिन 'टेक्टिक्स' में जरूर बदलाव लाएंगे, ताकि भविष्य में सुरक्षाबलों को कम से कम नुकसान हो. डीजी के मुताबिक, नक्सली कमांडर हिडमा को अब एक सीमित दायरे में बांध दिया गया है. 3 अप्रैल का ऑपरेशन ठीक एक मांद में ऑपरेशन करने जैसा था. छत्तीसगढ़ के इस इलाके में अब सीआरपीएफ की 5 अतिरिक्त बटालियन तैनात कर दी गई है, ताकि ऑपरेशन्स को और अधिक तेज कर दिया जाए.