नई दिल्ली: असम में एनआरसी के मुद्दे पर सरकार नए प्रावधान लाने की तैयारी कर रही है. इसके तहत 40 लाख लोगों में से भारतीयों की पहचान के बाद बाकी लोगों को भारत में ही रखने की तैयारी की जा रही है. यह बात दीगर है कि जो लोग विदेशी के तौर पर चिन्हित होंगे उन्हें भारतीयों की तरह अधिकार नहीं होंगे. सरकार इसके कानून में भी बदलाव करने पर विचार कर रही है. बांग्लादेश सरकार ने भी इस मुद्दे पर भारत सरकार से कड़ा विरोध जाहिर किया है.


एनआरसी के तहत भारत सरकार ने असम में रह रहे 40 लाख लोगों को अभी तक संदिग्ध माना है. हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि अभी इस मामले में पहचान का काम जारी है और फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद साफ होगा कि कितने विदेशी हैं.


सूत्रों के मुताबिक इस बाबत गृह मंत्रालय में बैठक के दौरान अनेक सवाल उठाए गए और कहा गया कि जिन लोगों को बांग्लादेशी बताया जायेगा आखिर उन्हें कैसे और कहां भेजा जायेगा? क्योंकि बाग्लादेश सरकार जब दस लोगों को वापस लेने को राजी नहीं होती तो वो लाखों लोगों को कैसे वापस लेगी.


बैठक में खुफिया एजेंसियों के हवाले से बताया गया कि असम में इस लिस्ट के जारी होने के बाद से वास्तविक बांग्लादेशी एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं. क्योंकि बांग्लादेशी और भारतीय एक कद काठी के हैं ऐसे में उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में एनआरसी की जो लिस्ट बनाई गई है उसके आंकडो में भी भारी फेरबदल हो सकता है.


सूत्रों के मुताबिक बैठक में मौजूद एक अति वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बाग्लादेशी के मुद्दे पर प्रेक्टिकल एप्रोच की जरूरत है क्योंकि बांग्लादेश लेगा नहीं और ऐसे में लाखों लोगों के लिए जेल कहां से बनेगी. लिहाजा ऐसा रास्ता अपनाया जाए जिससे बाद में सरकार को कदम पीछे ना हटाने पड़ें. इसके बाद ही एनआरसी में नए प्रावधानों को लेकर चर्चा हुई.


एनआरसी की बैठक में चर्चा की गई कि जो लोग विदेशी चिन्हित किए जाएं उनके लिए अनेक प्रावधान बना दिए जाएं मसलन-
* ऐसे लोगों को विदेश की तर्ज पर एक समय विशेष के लिए वर्किंग वीजा जारी किया जाए.
* ऐसे लोगों को जमीन खरीदने का अधिकार नहीं होगा.
* वो वोट प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पायेंगे.
* भारत सरकार की स्कीमों का सीधा फायदा उन्हें नहीं मिलेगा.


गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि सरकार जरूरत पड़ने पर कानून में भी बदलाव कर सकती है और जिन लोगों को वर्किंग वीजा दिया जायेगा उनकी बाकायदा लिस्ट होगी. सबसे बड़ी बात ये कि यह साफ हो जायेगा कि असम में कितने लोग बाहरी हैं.


सरकार की योजना है कि इस पूरी स्कीम को चरणों में लागू किया जाए जिससे उसे देश और विदेश दोनो में निंदा और सवालों का सामना ना करना पडे़. अगर बीस लाख लोग भी विदेशी निकले तो वो जायेंगे कहां क्योकि कोई देश इतनी बड़ी संख्या मे लोगों को लेने के लिए तैयार नहीं होगा. उल्टा उनके मानवाधिकारों का सवाल और खड़ा हो जायेगा.


सरकार इस मुद्दे को साल 2019 में भी पूरी तरह से भुनाना चाहती है लिहाजा पूरे मामले पर सरकार की आलाकमान पैनी निगाह रखे हुए है. वक्त और जरूरत के हिसाब से ही प्रावधानों को पूरी तरह से सोच समझ कर ही ब्लैक एंड वाइट किया जायेगा.