नई दिल्ली: आम लोगों को भ्रमित कर उनसे डेटा हासिल करने और विज्ञापन के जरिए कमाई करने वाली फर्जी वेबसाइट्स पर मोदी सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है. आप भी ऐसी किसी भी वेबसाइट के चक्कर में ना पड़ें, दरअसल ये बेवसाइट्स आम लोगों को ठगने काम करती हैं. इन वेबसाइट्स को चलाने वाले बेद पेशेवर लोग हैं जो लोगों का डाटा चोरी करते हैं और फिर उसे बेचकर पैसा कमाते हैं.


हाल ही में ऐसी ही एक वेबसाइट चलाने वाले राजस्थान के एक युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आईआईटी कानपुर से पोस्ट ग्रेजुएट राकेश जांगिड़ नाम का ये युवक राजस्थान के नागौर जिले का रहने वाला है. पुलिस ने इसके खिलाफ आईटी एक्ट में केस दर्ज किया है. ये युवक अपने एक चचेरे भाई के साथ मिलकर विज्ञापन के जरिए पैसा कमाने के चक्कर में फर्जी वेबसाइट चला रहा था. पुलिस ने राकेश जांगिड़ के पास से मिले कंप्यूटर को भी सीज़ कर दिया है.


किस तरह के मैसेज शेयर करती हैं फर्जी वेबासाइट
दरअसल इस तरह की फर्जी वेबसाइट लोगों को किसी चीज का लालच देती हैं. जैसे हाल ही में सोशल मीडिया पर मैसेज बेहद तेजी से वायरल हुआ. इस मैसेज में कहा गया था, ''नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने की खुशी में मेक इन इंडिया के तहत 2 करोड़ों युवाओं को मुफ्त लैपटॉप देने का ऐलान किया है, अभी तक 30 लाख युवा सफलतापूर्वक आवेदन कर चुके हैं अब आपकी बारी है. अंतिम तिथि से पहले अपना आवेदन जल्द से जल्द सबमिट करें.'' इस मैसेज के साथ एक लिंक (http://modi-laptop.sarkaari-yojana.in/#) भी दिया गया था. इस लिंक पर क्लिक करने के बाद एक पेज खुलता है, जहां सबसे ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक फोटो लगी है और मेक इन इंडिया के लोगो वाला शेर भी बना है. इसके बाद नीचे एक फॉर्म दिया गया है, जिसमें आपकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती है. इममें आपका नाम, मोबाइल नंबर, उम्र और राज्य के बारे में पूछा जाता है.


इन वेबसाइट्स को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
आपको बता दें एबीपी न्यूज़ पहले भी इस तरह की फर्जी वेबसाइट्स को लेकर अपने कार्यक्रम वायरल सच के जरिए दर्शकों-पाठकों को आगाह करता रहा है. इस तरह की ही एक स्टोरी की पड़ताल के दौरान हमने जब साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल इन वेबसाइट्स के बारे में पूछा तो उन्होंने हैरान करने वाली बाते हैं.


पवन दुग्गल ने कहा, ''लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज उनता डाटा है लिहाजा उनको टारगेट भी डाटा के लिए ही किया जाता है. इस तरह की वेबसाइट्स सिर्फ डाटा कलेक्शन वेबसाइट्स होती हैं. ये लोगों को गुमराह करने का तरीका है क्योंकि भारत सरकार कभी .com या .in का इस्तेमाल नहीं करती वो .gov.in का इस्तेमाल करती है. ये सिर्फ भोले भाले लोगों को गुमराह करने का एक तरीका है.